कोरोना कोरोना की बजाए गुरु मंत्र का जाप या शुद्ध शब्दों का उच्चारण करें : माता सुरदर्शन भिक्षु जी

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चंडीगढ़/ कुरुक्षेत्र: 29 मार्च: आरके विक्रमा शर्मा/करण शर्मा :– मुसीबत में जब कुछ भी आसरा या सहारा नजर नहीं आता है तो अपने आप को परम शक्ति परम पिता भगवान के सहारे छोड़ देना चाहिए।। लेकिन भगवान तभी आएगा, जब वायुमंडल में आप की चीख-पुकार, ध्वनि तरंगे व गुंजायमान होंगे। और यह परम शक्ति परमात्मा आपकी देह में आत्मा स्वरुप में बसती है। मौन  चीख-पुकार सुनकर आप सब के भीतर बसने वाली परम शक्ति परमात्मा जागृत होंगे।। तो फिर आपका कोई भी भौतिक वायरस बाल भी बांका नहीं कर सकता, मृत्यु तो दूर की बात है।। यह सद्विचार कर्मभूमि कुरुक्षेत्र में स्थापित सद्गुरु 1008 ब्रह्मलीन श्री श्री गीतानंद महाराज भिक्षु की परम शिष्या और गीता धाम कुरुक्षेत्र की संचालिका माता सुरदर्शन जी महाराज भिक्षु ने अपने स्नेही आशीर्वाद प्राप्त दास अनुदास के स्वपन अवस्था  में जन कल्याण हित में व्यक्त किए हैं। आज सर्वत्र  कोरोना और स्वाइन फ्लू बर्ड फ्लू हंता जैसी अनेकों महामारियां प्रचंड रूप में भौतिक जीवन को लील रही हैं। ऐसे में विज्ञान की हर खोज उपलब्धि नाकामयाब हो रही है। तो फिर इंसान कहां और किसकी शरण में जाए, यह सवाल खुद में ही जवाब है एकांत में जाएं, मौन रहें और मौन संस्कृति में ही उस परम शक्ति को, सृष्टि रचयिता को, जीवन देने वाले को जागृत करें। यह आत्म चेतन का जागरण सर्व व्यापक होना चाहिए। सबका कल्याण यथासंभव होगा।। स्वयं को स्वयं में एकांतवास में ले जाइए और मौन कोलाहल से उस परम शक्ति को जागृत करें। जो विकट और विषम परिस्थिति में सबका कल्याण कर सकती है। सबको स्वस्थ दीर्घायु कर सकती है। आज के मौजूदा हालात में और भौतिक संदर्भ में यही सलाह, यही सदमार्ग प्रासंगिक रहेगा। और अक्षरत सफल भी रहेगा। यही परहेज होगा, यही दवा होगी और यही रोग निवारण साधन होगा। हम जो उच्चारण करते हैं वायुमंडल में वही हमारे लिए कहीं ना कहीं उपस्थित होता है, उच्चारण से हमारे तक पहुंचता है यह तो अध्यात्म और विज्ञान भी एकमत होकर मानते और जानते हैं।। तो कोरोना कोरोना का उच्चारण छोड़कर शुद्ध शुभ शब्दों का उच्चारण कीजिए, पठन कीजिए और मनन भी कीजिए ।असाध्य वायरस वायुमंडल से ही विलीन हो जाएंगे।

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