हिंदू पंचांग अनुसार महाशिवरात्रि के बाद आती है वर्ष की अंतिम अमावस

Loading

चंडीगढ़: 22 फरवरी : अल्फा न्यूज़ इंडिया डेस्क :– कल रविवार 23 फरवरी,  को फाल्गुन माह की अमावस्या तिथि है। हिंदू पंचांग के अनुसार ये साल की आखिरी अमावस्या है। ये महाशिवरात्रि पर्व के बाद आती है। इस अमावस्या का खास महत्व है। धार्मिक तीर्थों पर स्नान करने से शुभ लाभ मिलता है और अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है।

ये है फाल्गुन अमावस्या का शुभ मुहूर्त
22 फरवरी को अमावस्या तिथि का शुभ आरंभ 19 बजकर 4 मिनट पर होगा। 23 फरवरी को अमावस्या तिथि  21 बजकर 3 मिनट पर समाप्त होगी।

फाल्गुन अमावस्या पर करें ये काम:— अमावस्या के दिन पीली त्रिकोण आकृति की पताका विष्णु मंदिर में ऊंचाई वाले स्थान पर इस तरह लगाएं कि वह लहराता रहे। कर्ज का मर्ज नहीं करेगा परेशान। इसके अतिरिक्त प्रति रविवार को भैरव स्त्रोत का पाठ मंदिर में बैठकर करें तो अत्यंत लाभप्रद रहेगा।
कभी-कभी व्यक्ति रोजगार-व्यापार चलाने के लिए व्यक्ति विशेष बैंक से ऋण लेता है। किसी भी वजह से रोजगार-व्यापार न चले तो यह प्रयोग अमावस्या से आरंभ करके नियमित रूप से चालीस दिन तक करें। एक सेर भुने चावल, एक पाव शक्कर और आधा पाव घी इन सबको मिलाकर प्रात:काल के समय निम्न मंत्र पढ़ते हुए चींटी के बिल पर डालें।
मंत्र- ॐ नमो नमन चींटि महावीर, हूंपूरो तोरी आशा तू पूरो मेरी आशा।

रोगों से मुक्ति के लिए सूर्य देव को अर्घ्य दें, सूर्य चालीसा का पाठ करें और विधि-विधान से उनकी पूजा करें। नमक न खाएं।

पितरों की तृप्ति और उनकी आत्मा की शांति के लिये इस दिन दान, तर्पण और श्राद्ध करने का विधान हैं। कहते हैं की शरीर छोड़ने के बाद आत्मा पितृ लोक जाती है। जब तक यमराज उनके प्रति कोई निर्णय नहीं लेते तब तक उन्हें यहां कुछ समय के लिए रहना पड़ता है। इस दौरान वे गहरे दर्द से गुजरते हैं क्योंकि उनमें कुछ भी ग्रहण करने की क्षमता नहीं होती। अमावस्या तिथि पर इन आत्माओं के सगे-संबंधी, नाते-रिश्तेदार, वंशज या कोई भी उनका अपना उनके लिये श्राद्ध, दान अथवा तर्पण करता है। जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है। पितरों को प्रसन्न और तृप्त करने के लिए ये दिन बहुत सौभाग्यशाली माना गया है। पितृ दोष दूर करने के लिए लाल मीठी चीजों का दान करें।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

109305

+

Visitors