चंडीगढ़ ; 3 मार्च ; आरके शर्मा विक्रमा ;—- समूची दुनिया में भगवान भोले शिवबाबा के भक्त आजकल महाशिवरात्री के चलते बाबा भोलेमय के खुमारी रंग में रंगे नजर आ रहे हैं ! शिव बाबा को जगती का संहारक कहा गया है ! पर भोले नाथ की अनुकम्पा जिस पर हो जाये उसको मृत्यु का कोई भय शोक सन्ताप नहीं रहता है !
मृत्यु लोक, स्वर्गलोक, पाताल-लोक आदि में भगवान शिव की महारात्रि धूमधाम से मनाने के क्रम पुरयौवन पर हैं ! भगवान शंकर के शिवालय और अन्य तमाम मंदिर इत्यादि खूब सजे धजे हैं ! दर-द्वार सब पुष्प-गुंछों से सुसज्जित किये गए हैं ! बाबा के भक्तों ने भी खूब फूल मालाएं घर द्वार सजाने के लिए सजा रखी हैं ! मंदिरों से ताजी सुबह से रात देर गए तक भोले के जयकारे और भजन, कीर्तन आदि सुनाई दे रहे हैं !
पंचकूला के सेक्टर 11 स्थित पीपल वाली माता मंदिर यानि प्राचीन शिव मंदिर के भक्त और मंदिर संस्थापकों में अग्रणी पंडित रामकृष्ण शर्मा के मुताबिक वर्ष के 365 दिन तो क्या 365 जन्मों में शिव भक्ति जितनी कठिनता से पूर्ण की जाये, उतना ही फल तो महज एक शिवरात्री की पूजन और व्रत सहित स्नान और जागरण से ही प्राप्त हो जाता है ! ये महाशिवरात्री कल्याण कारी और मोक्ष प्रदायी भी शिवपुराण शिव शास्त्रों मे कही गयी है !
चंडीगढ़ के सेक्टर 45 ऐ स्थित सूरजकुंड मंदिर के वयोवृद्ध पुजारी पंडित जी के मुताबिक माता पार्वती ने भगवान शिव को जीवनदायी प्रणेता बनाने हेतु कई जन्म कठोर और पीड़ादायी तप किया था ! लेकिन कलयुग के जिव तो सौभाग्यशाली हैं जिन को शिव बाबा की शरण एक ही महाशिवरात्रि का व्रत तप पूजन करने से प्राप्त हो जाती है ! फिर शिव बाबा जी की पूजा में सब से सरल व् सस्ते सहित सहज मिलने वाले वनस्पति फल फूल बिल्व पत्र धुप दीप नैवद्य मिलते हैं ! और भगवान शिव तो दो पल के ध्यान से भी खुश होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं !