सदियों से पहले भी थी अदभुत सनातन ब्रह्मांड घड़ी

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चंडीगढ़ 27.06.2025 – आरके विक्रमा शर्मा अनिल शारदा हरीश शर्मा अश्वनी शर्मा प्रस्तुति — समय अडिग निडर होकर गतिमान रहता है। ना किसी के समीप ना किसी से दूरी ना कोई अपना ना पराया। यही वक्त ने सबको समझाया है कि ऐ इंसान संभल जा मेरी रफ़्तार देख कर। जमाने से लड़कर जी, पर मुझसे डर कर जी, मैं वक्त हूं।।

12:00 बजने के स्थान पर “आदित्य” लिखा हुआ है, जिसका अर्थ यह है कि सूर्य विवस्वान, अर्यमन, त्वष्टा, सविता, भग, धाता, मित्र, वरुण, अंशुमान, पूषा, इंद्र और विष्णु 12 प्रकार के होते हैं।

1:00 बजने के स्थान पर “ईश्वर” लिखा हुआ है इसका अर्थ यह है कि ईश्वर एक ही प्रकार का होता है। एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति।

2:00 बजने की स्थान पर “पक्ष” लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि पक्ष दो होते हैं 1 कृष्ण पक्ष औऱ दूसरा शुक्ल पक्ष।

3:00 बजने के स्थान पर “अनादि तत्व” लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि अनादि तत्व 3 हैं। परमात्मा, जीवात्मा और प्रकृति ये तीनों तत्व अनादि है ,

4:00 बजने के स्थान पर “वेद” लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि वेद चार प्रकार के होते हैं — ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।

5:00 बजने के स्थान पर “महाभूत” लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य है कि महाभूत पांच प्रकार के होते हैं। पांच महाभूत हैं :- सत्वगुण, रजगुण, कर्म, काल, स्वभाव”

6:00 बजने के स्थान पर “दर्शन” लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि दर्शन 6 प्रकार के होते हैं । छः दर्शन सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदान्त के नाम से विदित है।

7:00 बजे के स्थान पर “धातु” लिखा हुआ है, इसका तात्पर्य है कि धातु 7 हैं।
सात धातुओं के नाम :-
रस : प्लाज्मा
रक्त : खून (ब्लड)
मांस : मांसपेशियां
मेद : वसा (फैट)
अस्थि : हड्डियाँ
मज्जा : बोनमैरो
शुक्र : प्रजनन संबंधी ऊतक

8:00 बजने के स्थान पर “अष्टांग योग” लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि योग के आठ प्रकार के होते है।
योग के आठ अंग हैं :-
1) यम, २) नियम, ३) आसन, ४) प्राणायाम, ५) प्रत्याहार, ६) धारणा ७) ध्यान ८) समाधि

9:00 बजने के स्थान पर “अंक” लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि अंक 9 प्रकार के होते हैं। 1 2 3 4 5 6 7 8 9.

10:00 बजने के स्थान पर “दिशाएं” लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि दिशाएं 10 होती है।पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान (उत्तर-पूर्व), आग्नेय (दक्षिण-पूर्व), नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम), वायव्य (उत्तर-पश्चिम), आकाश (ऊपर), और पाताल (नीचे)।।

11:00 बजने के स्थान पर “उपनिषद” लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है किईश, केन, कठ, प्रश्न, मुंडक, मांडूक्य, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छांदोग्य, बृहदारण्यक और श्वेताश्वतर।
उपनिषद 11 प्रकार के होते हैं।

12:00 बजने के स्थान पर आदित्य जोकि 12 हैं।

अल्फा न्यूज़ इंडिया की साभार प्रस्तुति।।

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