कर जोड़ शत शत नतमस्तक हो करूँ प्रणाम,
पन्द्रह अगस्त स्वतन्त्रता दिवस मम महान !
दिवस जब ये आ जाता है, मिट तिमिर देश का जाता है !
कौन है जो तेरे अम्न चैन को, बन विषधर मित्र नष्ट कर जाता है !
कौन तेरे शहीदों की मजारों पर,शौर्यता के जलते चिरागों की
वैभवी लौ को बुझाता और शांति वन में त्राहित्राहि मचाता है !
मिटा सिंधूर कौन सूनी कलाइयां कर जाता है, कौन बन दुशासन चीर हर जाता
कौन वीर हकीकतराय चार साहिबजादे बन, धर्म बचाते, बन्दा बहादुर बन जाता !
कौन मधुमास सावन फाल्गुन वेला पर ,गीत विरह पीड़ा वियोग के गया जाता !
कौन खेतों की हरीभरी हरियाली हटाकर, मातृ भूमि को लहू की लाली से रंग जाता !
कौन है जो माँ की गोद से सुत छिनता, कौन लाशों से सिसकता सुहाग भिनता !
कौन कायर भारत की एकता अखण्डता पर, मर मिटने में समझता अपनी हीनता !
शत शत करूँ प्रणाम, भारत माता कर्म धर्म भूमि मम स्वर्गधाम,
पन्द्रह अगस्त मम महान, करें वन्दना चारों याम, आठों धाम !!!