चंडीगढ़ 15 जुलाई आरके विक्रमा शर्मा हरीश शर्मा बीरबल शर्मा अनिल शारदा —- वर्ष 2008 में आज के ही दिन दैनिक हॉक दि हॉक पब्लिकेशन ग्रुप के संस्थापक संचालक संपादक स्वर्गीय पुष्करराज कपूर जी के ज्येष्ठ पुत्र निशांत कपूर हम सबसे मुख मोड़ कर सदा के लिए अलविदा कह गए। हाक परिवार वो चाहे संपादक मंडल या पत्रकार फोटोग्राफर या फिर असंख्य पाठक गण हो सबके लिए काला दिन था जब हम सब का चाहेता नौजवान बतौर पत्रकार समाचार संकलन के लिए घर से निकला तो फिर समाचार बनकर ही लौटा। मेरी नजरों में निशांत कपूर पत्रकारिता जगत का युवा बलिदानी है। और उससे भी बड़ी गौरव की बात यह रही की पुष्कर राज कपूर जी ने घर में इतनी बड़ी शहादत के चलते भी दोनों अखबारों का प्रकाशन यथावत जारी रखा। और एक कलमकार होने का दायित्व बखूबी निभाया। पिता-पुत्र पुष्कर राज कपूर निशांत कपूर की इस कर्तव्य भावना को पत्रकार जगत वह पाठक जगत का हमेशा कोटि-कोटि नमन है। बात और मेरे संस्मरणों के मेरी मुलाकात निशांत कपूर और प्रशांत कपूर जी से सहारनपुर में हुई थी। और यहीं सहारनपुर प्रभारी डीडी शर्मा सहित तत्कालीन सहारनपुर डेस्क प्रभारी भंवर सिंह पुंडीर से भी सदस्य मरण रहने वाली भेंट हुई थी। सहारनपुर की धार्मिक और स्थापित संस्था शून्य ने हॉक ग्रुप के स्वामी और मुख्य संपादक पुष्करराज कपूर जी चंडीगढ़ दैनिक हॉक प्रभारी आर विक्रम शर्मा और चंडीगढ़ के होटल बिज़नेस व्यवसाय आलमजीत सिंह मान का का बहुत ही गर्म जोशी से और बहुत ही निराले ढंग से सम्मान किया था। पुष्करराज कपूर जीने इस मौके पर शून्य संस्था के सर्व सर्वा धर्म प्रज्ञ कमल किशोर जी को हरिद्वार हर की पौड़ी का शुद्ध गंगा जल का कलश भेंट कया था। मंच पर पुष्करराज कपूर हर हर के विक्रम शर्मा को फूल-मालाओं से लाद दिया गया था। और ओम् अक्षर फ्रेम में सजी तस्वीर भेंट की गई थी। यह पल पुष्कराज कपूरजी और आरके विक्रमा शर्मा सहित आलमजीत सिंह मान समाज सेवी के लिए ही नहीं, बल्कि हॉक पब्लिकेशन परिवार सहित संख्या पाठक वृंदों के लिए सदस्य करने वाला गौरवमयी था। हमारे परम स्नेही सम्मान पात्र भ्राता तुल्य प्रमुख संपादक पुष्कर राज कपूर जी ने इस सम्मानको पाने के बाद आर विक्रम शर्मा की पीठ थपथपा आई और गले लगा कर बधाई दिए और शुक्रिया अदा किया था। इसी मौके पर निशांत कपूर ने सभागार में बगल में बैठकर हमेशा दिलो दिमाग में रहने वाली दूरदर्शिता भारी बातें की थीं। निशांत कपूर बोला कि विक्रम सर आपसे सीखने को बहुत-कुछ मिल गया है और आगेभी मिलता रहेगा। मैं आपसे बहुत-बहुत गहरे गहरे तक प्रभावित हुआ हूं और आपका आभारप्रकट करता हूं क्या आपने अपनी दूरदर्शिता और विशाल हृदय्यता का उदाहरण देते हुए पापा का बहुत ही प्रभावशाली ढग से मान सम्मान करवाया है। मैं अपने पापा जितना ही आपको प्यार सम्मान देता हूं। आपने जो कुछ दैनिक हो के लिए चंडीगढ़ से किया है उसके लिए आभारी हैं क्योंकि ऐसे की तो हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी। तात्कालीन छोटी सी उम्र में जिम्मेदारी और जवाबदेही से दूरदर्शिता भारी सराहनीय बातचीत के लिए निशांत कपूर का कद हमारी नजरों में बहुत ऊपर उठा और आज भी मधुर स्मृतियां निशांत कपूर को हमारे साथ जोड़े हुए हैं। पुष्कराज कपूर और आरके विक्रमा शर्मा के रिश्ते के कद कायहीं से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस अभागी रात यह अनहोनी हुई थी उसके अगले सवेरे खुद पुष्कर राज कपूर जी ने निशांत कपूर के दुखद देहावसान की खबर आर के विक्रमा शर्मा को सुनाई और आग्रह किया कि वह हरिद्वार ना आएं ।क्योंकि उन दिनों शर्मा की तबीयत बेहद बिगड़ी हुई थी। ऐसे समीपस्थ और अपनेपन के लिए आरके विक्रमा शर्मा ने पुष्कर राज कपूर साहब को बड़े भ्राता का पदमान दिया था। निशांत कपूर आप अपने दूरदर्शिता मिलन स्वाभाव और बड़ों को आदर सम्मान देने की गुणवत्ता से दि हॉक और दैनिक हॉक परिवार में एक नि शांत (कभी ना थमने वाली) होने वाली हमेशा दूसरों को आदर्श की प्रेरणा देने वाली परिपाटी स्थापित कर गए। परमपिता परमेश्वर भगवान श्री कृष्ण महाराज आपको सदा अपने अलौकिक लोक में सुपात्र लोक में रखें।। यही मेरी आरके विक्रमा शर्मा यानी आरके विक्रांत शर्मा की हार्दिक स्मृति सुमन रूपी श्रद्धांजलि अर्पित है।