तेरा कीमा मीठा लागै।
हरी नामु पदार्थू नानकू मागै।।
चंडीगढ़ 10 जून आरके विक्रमा शर्मा अनिल शारदा —ज्येष्ठ मास की तपाती धूप हमें श्रम और हर प्रकार से तपने का मार्ग प्रशस्त करती है। सिख पंथ के पांचवीं पातशाही गुरु अर्जन देव जी की अमर शहादत एक बहुत बड़ा संदेश और ज्ञान देती है। जीवन परमार्थी और परोपकारी होना चाहिए। अल्फा न्यूज़ इंडिया महान शहादत को नमन करती है। 1663 विक्रमी संवत् और 1605 ईस्वी में पाकिस्तान स्थित लाहौर में बाबा डेरा साहब रावी दरीया के किनारे गुरु अर्जन देव जी को गरम लोहे के तवे पर बिठाकर ऊपर गर्म रेत डालकर मुसलमानों और सिखों की बड़ी भीड़ में सवेरे की पहली पहर में शहीद किया गया था।।