चंडीगढ़:-28 अक्टूबर:-अलफा न्यूज़ इंडिया प्रस्तुति:——. _*🚩 ॥ गणेशाय नम:॥ 🚩*_
_*🔅स्नेह 🙏वंदन🔅*_
_*शुक्रवार का पंचांग : ➖ शुक्ल पक्ष ➖* तृतीया / चतुर्थी कलीयुग वर्ष ५१२४, श्री शालीवहन सवंत (शक) (शक) ((शक) १९४४, विक्रम २०७९ नलनाम संवत्सर, उत्तरायण वसंतऋतू २८ अक्तूबर २०२२▫_
_*🔅महालक्ष्मी मन्त्र : ➖ ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥*_
_*ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥*_
_*🔅दिन (वार) : ➖* शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।_
_*शुक्रवार* के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय *“श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम”* एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।_
_*शुक्रवार* के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।_
_*शुक्रवार* के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।_
_*विक्रम संवत् : ➖* २०७९_
_*शक संवत : ➖* १९४४_
_*कलि संवत : ➖* ५१२४_
_*अयन : ➖* दक्षिणायन,_
_*ऋतु : ➖* शरद ऋतु,_
_*मास : ➖* कार्तिक माह_
_*पक्ष : ➖* शुक्ल पक्ष_
_*चंद्र बल : ➖* मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन,_
_*🔅तिथि, : ➖* तृतीया १०:३३ तक तत्पश्चात चतुर्थी_
_*🔅तिथि के स्वामी : ➖* तृतीया तिथि के स्वामी माँ गौरी और कुबेर देव जी और चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी है।_
_*तृतीया:* किसी भी पक्ष की तीसरी तारीख को तृतीया तिथि या तीज कहते है। तृतीया तिथि को जया तिथि भी कहा गया है।_
_*तृतीया तिथि* में माँ गौरी जी की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है। तृतीया के दिन माँ गौरी का ध्यान करते हुए उन्हें दूध की मिठाई, फूल और चावल अर्पित करें एवं श्रद्धानुसार घी का दीपक जलाकर *’’ऊँ गौर्ये नमः’’* की एक माला का अवश्य ही जाप करें ।_
_*कुबेर* जी भी तृतीया तिथि के स्वामी माने गये हैं। शास्त्रों के अनुसार कुबेर जी देवताओं के कोषाध्यक्ष है अतः इस दिन इनकी भी पूजा करने से जातक को विपुल धन-धान्य, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।_
_*कुबेर देव* रावण के सौतेले भाई है और या भगवान शिव जी के प्रिय सेवक , परम मित्र भी माने जाती है। घर में कुबेर देवता की फोटो को उत्तर दिशा की ओर लगाना चाहिए और इस दिशा को बिलकुल साफ रखना चाहिए ।_
_*शास्त्रों के अनुसार* जो भी जातक किसी भी पक्ष की तृतीया को घी का दीपक जलाकर नियम से नीचे दिए गए कुबेर मंत्र का जप दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करता है उसे कुबेर देव की कृपा अवश्य ही प्राप्त होती है, उसे अपने कार्यक्षेत्र , व्यापार में आशातीत सफलता मिलती है।_
_*कुबेर मंत्र: “ऊँ श्रीं, ऊँ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम”।* यदि इस मंत्र का जप किसी शिव मंदिर में अथवा बिल्वपत्र वृक्ष की जड़ों के समीप बैठकर करा जाये तो या बहुत अधिक उत्तम होता है, उस जातक को भगवान भोलेनाथ और कुबेर जी दोनों की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है ।_
_*🔅नक्षत्र : ➖* अनुराधा १०:४२ तक तत्पश्चात ज्येष्ठा_
_*🔅नक्षत्र के स्वामी : ➖* अनुराधा नक्षत्र के देवता मित्र, भैरव जी तथा स्वामी शनि देव जी है ।_
_*अनुराधा नक्षत्र, नक्षत्र मंडल* में उपस्थित २७ नक्षत्रों में १७ वां है। आकाश मंडल में अनुराधा 4 तारों का समूह मंडल है। यह एक कमल का फूल जैसा लगता है जो हर परिस्तिथि में खिलने की क्षमता का प्रतीक है। यह सुरक्षा और शक्ति का भी प्रतीक है।_
_*इस नक्षत्र* का आराध्य वृक्ष : मौलश्री तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। अनुराधा नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है।_
_*इस नक्षत्र* में जन्म लेने वाले जातक पर शनि और मंगल दोनों ही ग्रहों का प्रभाव हमेशा रहता है।_
_*अनुराधा नक्षत्र* के लिए भाग्यशाली संख्या 8, भाग्यशाली रंग लाल, सुनहरा और भूरा, भाग्यशाली दिन शनिवार, सोमवार और गुरुवार माना जाता है ।_
_*अनुराधा नक्षत्र* में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को ॐ अनुराधाभ्यो नमः। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।_
_*जिस दिन* यह नक्षत्र हो उस दिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें, सूर्य देव के नामों का स्मरण करें । इस नक्षत्र के जातको को भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा करने से भी शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।_
_*🔅योग : ➖* शोभन_
_*🔅योग के स्वामी, स्वभाव : ➖* शोभन योग के स्वामी बृहस्पति देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ है।_
_*🔅प्रथम करण : ➖* गर १०:३३ तक_
_*🔅करण के स्वामी, स्वभाव : ➖* गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।_
_*🔅द्वितीय करण : ➖* वणिज ०९:२४ तक तत्पश्चात विष्टि_
_*🔅करण के स्वामी, स्वभाव : ➖* वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है।_
_*🔅गुलिक काल : ➖* शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: ०७:३० से ०९:०० तक ।_
_*🔅दिशाशूल : ➖* शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है ।_
_यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।_
_*🔅राहुकाल : ➖* दिन *–* १०:३० से १२:०० तक।_
_*🔅सूर्योदय : ➖* प्रातः ०६:३०_
_*🔅सूर्यास्त : ➖* सायं : १७:३९_
_*🔅विशेष : ➖* तृतीया को परवल का सेवन नहीं करना चाहिए, तृतीया को परवल का सेवन करने से शत्रुओं में वृद्धि होती है ।_
_*🔅आप का आज का दिन 🙏 अत्यंत मंगल दायक हो।*_
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