चंडीगढ़/हमीरपुर:-7 फरवरी:- आरके विक्रमा शर्मा/करण शर्मा:—- पेट की जठराग्नि को शांत करने के लिए ना जाने इंसान क्या-क्या पापड़ बेलता है। और जब जिम्मेदारियों का बोझ सर पर पड़ जाता है। तो हर काम करना मजबूरी नहीं, शौक नहीं आदत का हिस्सा बन जाता है। इसी तरह के शौक को अपनी रोजी-रोटी का जरिया बनाया है। देव भूमि हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर की तहसील बड़सर के गांव मैहरे के तीन साथियों ने। तीनो लोग बेरोजगार थे परिवार का पेट भरने के लिए रोजी रोटी के जुगाड़ के लिए भटकते हुए तीनों ने बचपन के अपने एक हुनर को अपना शॉप बनाया और हर समय गुनगुनाने की एक आदत पलटी चली गई यही आदत आगे चलकर उनके परिवार की जीत का का सबब बनी तीनों दोस्तों ने औरतों की शैली और आवाज में विवाह के लोकगीत गाने की कला को सुनाना शुरू किया। और इस तरह से उनके परिवारों की आजीविका का साधन चल निकला। आज इस लोकगायन तिकड़ी को लोग ब्याह शादी और घर में दूसरे अन्य कार्यक्रमों में गाने का न्योता देते हैं। और बदले में उनकी दिहाड़ी देते हैं। खाने का भोजन और वस्त्र आदि दाल चावल आटा आदि भी खुशी से देते हैं मजेदार बात तो यह है कि अब लोग शादी का नाम सुनते ही सीधा इनके घरों की ओर इनकी बुकिंग के लिए भागते हैं। तीनों दोस्त कई अवसरों पर एक साथ नहीं गा पाते हैं। क्योंकि एक ही दिन की 2-3 बुकिंग मिलने पर अलग-अलग गाने जाते हैं। पर इनकी सुरीली आवाज सुनते ही हर कोई इनका मुरीद हो जाता है। किसी भी सगाई शादी कार्यक्रम आदि में इनके मधुर गीत संगीत का लुत्फ उठाने के लिए इनके निजी मोबाइल नंबर 9816822858 पर संपर्क किया जा सकता है। और इनका मेहनताना/दिहाड़ी भी अदा करना हर किसी के बलबूते की बात है! यानी बहुत सस्ती दिहाड़ी पर यह अपनी हिमाचली लोक गायन शैली का प्रदर्शन करते हैं। और लोगों का भरपूर मनोरंजन करते हैं। और अपने घर परिवार की जीविका चलाते हैं।
इस मार्फत अल्फा न्यूज इंडिया को अधिक जानकारी देते हुए जिला हमीरपुर के गांव चमनेड़ की बशिंदा तृप्ता रोशन लाल शर्मा ने बताया कि अब इन तीनों की डिमांड समीपवर्ती गांव में और दूरदराज की तहसीलों के गांवों में भी होने लगी है। और यह तीनों फुर्सत के दिनों में दूसरे अन्य कामों में भी पैसा कमा लेते हैं। और अब इनकी आजीविका छोटे-मोटे कामों को निपटाने के अलावा विवाह शादी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में महिला गायन शैली में गाने से भी बखूबी चल रही है। इन तीनों की इस हुनर की उपलब्धि तमाम बेरोजगारों के लिए एक स्वयं रोजगार का उदाहरण है। और कोई भी काम कभी भी छोटा या निम्न स्तर का नहीं होता है। और ना ही कोई भी कर्म किसी बंधन में बनता है। यह इन तीनों ने सिद्ध कर दिया है। युवा समाज इन से उत्साहित होकर अपने घर परिवार की आजीविका चलाने के लिए अनुसरण के लिए स्वतंत्र है।