चण्डीगढ़:-5 फरवरी:- आरके विक्रमा शर्मा करण शर्मा अनिल शारदा प्रस्तुति:—- यूटी पावरमैन यूनियन चण्डीगढ़ ने सस्ती बिजली देकर मुनाफा कमा रहे चण्डीगढ़ के बिजली विभाग के गैरकानूनी तौर पर किये जा रहे निजीकरण के विरोध में चण्डीगढ़ प्रषासन को 22 फरवरी से 24 फरवरी तक 72 घण्टे की हड़ताल का नोटिस दे दिया है। इस संदर्भ में यूनियन द्वारा 1 फरवरी को 24 घंटे की हड़ताल के बावजूद भी चण्डीगढ़ प्रषासन अपने अड़ियल रूख पर कायम है। उल्लेखनीय है कि चण्डीगढ़ प्रषासन ने बिडिंग प्रौसेस को शुरू करने से लेकर कैबिनेट अप्रूवल तक दर्जनों बार बिडिंग डाक्यूमैंट व टैंडर प्रक्रिया की उल्लघंना की है लेकिन प्रषासन सारा कुछ जाने समझने के बावजूद भी टैंडर प्रक्रिया को रद्द करने को तैयार नहीं है। इसलिए यूनियन की आम सभा ने 22 फरवरी से 24 फरवरी तक हड़ताल करने का नोटिस देने का ऐलान किया था। यूनियन द्वारा प्रषासक के सलाहकार को दिये गये नोटिस में सारी बातों का जिक्र करते हुए प्रषासन के अड़ियल रवैये की निन्दा करते हुए आरोप लगाया कि प्रषासन केन्द्र सरकार के कई फैसलों तथा बिजली एक्ट 2003 के प्रावधानों की सरेआम उल्लघंना कर रहा है तथा आगे कहा कि जब अभी बिजली अमैंडमेंट बिल 2021 संसद में पेश ही नहीं हुआ तो उससे पहले मुनाफा कमा रहे चण्डीगढ़ के बिजली विभाग का निजीकरण गैरकानूनी है। सरकार देष के अन्य केन्द्रषासित प्रदेशों के लिए एक नीति तथा चण्डीगढ़ के मामले में दोहरा मापदण्ड अपना रहा है। अभी तक केन्द्र सरकार की यह नीति रही है कि सिर्फ घाटे वाले विभागों का ही निजीकरण किया जायेगा लेकिन चण्डीगढ़ के मामले में यह बात भी लागू नहीं होती ना ही इसमें किसी भी प्रकार की कोई प्रतियोगिता की बात सामने आती है क्योंकि प्रषासन समूचित विभाग का 100 प्रतिषत हिस्सा निजी मालिक के हवाले कर रहा है वो भी उस मालिक को जिसके बिजली के रेट सारे देष में सबसे अधिक है। चण्डीगढ़ में बिजली की दर 150 यूनिट तक 2.50 रूपये तथा अधिकतम 4.50 रूपये है लेकिन एमीनेट कम्पनी जिसे सरकार बिजली विभाग को बेच रही है उसका 150 यूनिट तक का रेट 7.17 रूपये तथा 300 यूनिट से आगे का रेट 8.92 रूपये है जिसका सीधा असर जनता की जेब पर पड़ेगा। इस बात को देष के बिजली मंत्री भी स्वीकार कर चुके हैं लेकिन सब कुछ जानते हुए भी चण्डीगढ़ की जनता को लूट के सहारे छोड़ दिया गया है। यूनियन के प्रतिनिधियों ने यह भी आरोप लगाया कि विभाग का टर्न ओवर 1000 करोड़ रूपये से अधिक है और कुल सम्पत्ति की मार्किट वेल्यु लगभग 20 हजार करोड़ से 25 हजार करोड़ तक बनती है लेकिन सिर्फ 871 करोड़ में इसे बेचा जा रहा है जबकि पिछले पांच सालों में ही विभाग ने 1000 करोड़ से अधिक मुनाफा कमा कर सरकारी खाते में जमा किये हैं। इसलिए विभाग को निजी कम्पनी के हवाले करना किसी भी तरह वाजिब नहीं है। यहां यह बात भी गोर तलब है कि सरकार जमीन तथा बिल्डिंगों का किराया 25 साल तक मात्र 1 रूपये महीना देने की बात कर रही है जो किसी भी तरह से उचित नहीं है। जनता के खून पसीने से बनाये गये बिजली विभाग को इस तरह कौड़ियों के भाव लुटाना किसी भी तरह वाजिब नहीं है। सरकार और प्रषासन के इस कदम से बिजली आम गरीब लोगों की पहुंच से बाहर हो जायेगी। इसी तरह कर्मचारियों का महालेखाकार के पास जमा प्रोविडेंट फंड भी ट्रस्ट बना कर उसके हवाले किया जा रहा है जो सविधान तथा कानून की सरेआम उल्लघंना है तथा कर्मचारियों के बच्चों के लिए जमा जीपी फंड का पैसा ट्रस्ट के हवाले करना बिल्कुल भी उचित नहीं है और इसके कई उदाहरण है जहां ट्रस्ट के पैसों को हड़पने के कई घोटाले पकड़े गये है। इस मामले में उत्तर प्रदेष के कर्मचारियों का प्रोविंडेट फंड का 2200 करोड़ का घोटाला सबके सामने है।
बिजली कर्मचारियों ने इस संबध में 7 फरवरी 2022 को शहर की राजनीतिक पार्टियों, मुहल्ला समितियों, ग्राम संघर्ष कमेटी, व्यापार मण्डल, ट्रेड यूनियनों तथा सामाजिक संगठनों की संयुक्त कन्वैंषन बुलाई है जिसमें निजीकरण की लड़ाई में सहयोग मांगा जायेगा क्योंकि यह कर्मचारियों का नही बल्कि समूह चण्डीगढ़ के वासियों की लूट का मुद्दा है। यूनियन ने समाज के सभी वर्गो को बिजली कर्मचारियों की हड़ताल का समर्थन करने की अपील की है।। साभार एन एक्स इंडिया।।