कैप्टन से है पंजाब सियासत में कांग्रेस आई और आम आदमी पार्टी का सीधा मुकाबला, अकाली दल को नहीं मानते हैं रेस में

Loading

चंडीगढ़: 31 दिसंबर आरके विक्रमा शर्मा/ करण शर्मा+ अनिल शर्मा:-– पंजाब में सियासत की सर्दी पुर जोरों पर है यहां कब क्या कौन कैसे कर दे इसके बारे में तो खुद बड़े-बड़े दिग्गज इस सब के बारे में भी कहने और सोचने में नौसिखिए साबित होते हैं।

पंजाब की मौजूदा सियासत में पटियाला के राजघराने के कैप्टन अमरिंदर सिंह का सियासी कद काफी बड़ा और असरदार माना जाता है अपने आर्मी स्टाइल और निडरता को लेकर अपने स्पष्ट दो टूक फरमानों के लिए भी कैप्टन अमरिंदर सिंह खूब जाने पहचाने जाते हैं। समय-समय पर विपक्षी दलों को नकेल डालने में भी कामयाब रहे हैं। और अकेले अपने दम पर पंजाब में चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बनने में भी सफल रहे हैं।

लेकिन हाल ही में कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस साहिब में लंबी पारी खेलने और पंजाब प्रांत में दो बार मुख्यमंत्री रहने के बाद कांग्रेसी को अलविदा कह गए या यूं कहिए हाईकमान ने अलविदा कहने के लिए बेइज्जत और मजबूर भी किया कैप्टन ठहरे कैप्टन उन्होंने अपनी पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी का गठन कर दिया जिस वक्त उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कहा उस वक्त भी 40 एमएलए उनके साथ खड़े थे लेकिन कैप्टन ने अकेले ही कांग्रेसका इक्वल विधा का नई पार्टी का गठन किया और मुखसर से सबसे पहले पुष्पेंद्र भंडारी को नई पार्टी में जोड़ा पंजाब लोग कांग्रेस के गठन के बाद से कांग्रेस साईं के कद्दावर और नामचीन नेता कांग्रेसी को अलविदा कहते हुए कैप्टन की पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी में जुड़े रहे हैं और यह क्रम अवैध रूप से जारी है दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यह पार्टी आगे चलकर गठबंधन के मसौदे पर भारतीय जनता पार्टी का एक अहम हिस्सा हो सकती है और या तो कैप्टन को मुख्यमंत्री का पद भी दिया जा सकता है बशर्ते पंजाब लोग कांग्रेश पार्टी का भारतीय जनता पार्टी में विलय हो जाए ऐसे कयास जारी हैं क्योंकि कांग्रेस से अलविदा कहने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली जाकर भाजपा के बड़े नेताओं से मुखातिब हुए थे उस वक्त वह आज पा की ओर से उन्हें केंद्रीय कृषि मंत्री का मंत्री का पौधा ऑफर किया गया था ऐसे समाचार भी पढ़ने को मिलते रहे हैं लेकिन कैप्टन के मंसूबों को कोई दूसरा नहीं भाग सकता है इसीलिए उन्होंने यह ऑफर ठुकरा दी और अपनी पार्टी खड़ी कर दी आगे चलकर यह पार्टी पंजाब की सियासत के समीकरण को किस तरह प्रभावित करती है यह देखने वाला बड़ा मुद्दा होगा।।।

पंजाब में आम आदमी पार्टी को सत्तासीन होने से रोकने के लिए किसी वक्त कांग्रेस और अकाली दल का गुप्त समझौता भी खबरों की सुर्खियां बना था हालांकि किसी और से इसकी पुष्टि नहीं हुई थी लेकिन खबर की खबर रखने वाले ही हैं जो सब जगजाहिर कर रहे थे। तो अभी  पंजाब में आम आदमी पार्टी को रोकने के लिए भारतीय जनता पार्टी और पंजाब लोक कांग्रेस और स्थानीय प्रांतीय स्तर के कुकुरमुतों जैसे दलों के साथ भी गठजोड़ कर सकते हैं। और अब कांग्रेस आई और दूसरी और आम आदमी पार्टी से पंजाब लोग कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी का सीधा मुकाबला भी माना जा रहा है। सियासत में कब कौन सी खिचड़ी या खीर बन जाए। यह कहना तो बिल्कुल ही असंभव और नामुमकिन है। इसलिए वक्त का तकाजा है कि वक्त का इंतजार कीजिए। और सियासत को अपने दांवपेच खेलने दीजिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

159058

+

Visitors