चंडीगढ़:31 दिसंबर: आरके विक्रमा शर्मा/करण शर्मा+ अनिल शारदा प्रस्तुति:—
बड़ी ही सरल स्वाभाविक शब्दों में भविष्य को संवारने सजाने और शांत सुरक्षित करने हेतु जरूर मनन करने की आवश्यकता है।।।
*गधे ने बाघ से कहा, ‘घास नीली है।’ बाघ ने कहा, ‘घास हरी है।’*
*फिर दोनों के बीच चर्चा तेज हो गई। दोनों ही अपने-अपने शब्दों में दृढ़ हैं। इस विवाद को समाप्त करने के लिए, दोनों जंगल के राजा शेर के पास गए।*
*पशु साम्राज्य के बीच में, सिंहासन पर बैठा एक शेर था। बाघ के कुछ कहने से पहले ही गधा चिल्लाने लगा। “महाराज, घास नीला है ना?” शेर ने कहा, ‘हाँ! घास नीली है।* ‘
*गधा, ‘ये बाघ नहीं मान रहा। उसे ठीक से सजा दी जाए। ‘राजा ने घोषणा की,’ बाघ को एक साल की जेल होगी। राजा का फैसला गधे ने सुना और वह पूरे जंगल में खुशी से झूम रहा था। बाघ को एक साल की जेल की सजा सुनाई गई। ‘*
*बाघ शेर के पास गया और पूछा, ‘क्यों महाराज! घास हरी है, क्या यह सही नहीं है? ‘शेर ने कहा,’ हाँ! घास हरी है। ‘बाघ ने कहा,’ … तो मुझे जेल की सजा क्यों दी गई है? ‘*
*सिंह ने कहा, “आपको घास नीले या हरे रंग के लिए सजा नहीं मिली। आपको उस मूर्ख गधे के साथ बहस करने के लिए दंडित किया गया है। आप जैसे बहादुर और बुद्धिमान जीव ने गधे से बहस की और निर्णय लेने के लिए मेरे पास आये।”*
*कहानी का सार …. ….*
*2022 में अपना वोट सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार को दें …. बस गधों से बहस न करें अन्यथा आपको अगले 5 साल तक की सजा हो जाएगी।
*बी.एन. सिंह(सरदार सिंह)साभार।