नवरात्रि माता डोली पर हो सवार आएंगी सब के घर दरबार, दिल खोलकर करें सत्कार, धन दौलत वैभव मिलेगा अपार:– पंडित कृष्ण मेहता

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नवरात्रि खास :- मां दुर्गा इस शारदीय नवरात्रा (2021) डोली पर आ रही है जाने इसका मतलब/प्रभाव ?इस वर्ष शारदीय नवरात्र नौ दिनों के होकर 8 दिनो के ही रहेंगे, क्योंकि चौथे नवरात्रे अर्थात चतुर्थी तिथि का हो रहा क्षय,  पंडित कृष्ण मेहता विस्तार से बता रहे

अश्‍विन माह की शुक्ल प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ होता हैं जो कि इस बार 7 अक्टूबर से शुरू होने जा रही हैं। मातारानी के भक्तों को इन दिनों का लंबे समय से इन्तजार रहता हैं और सभी मातारानी की पूजा करते हुए उनकी सेवा में लगे रहते हैं। नवरात्रि के इन दिनों को बेहद शुभ माना जाता हैं जिसमें की गई माता की भक्ति शुभ फलदायी साबित होती हैं।पंडित कृष्ण मेहता ने बताया की आज हम आपको इन दिनों में किए जाने वाले कुछ ऐसे उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनसे मातारानी प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद प्रदान करती हैं। तो आइये जानते हैं इन उपायों के बारे में।

मूर्ति और कलश स्थापना : माता की मूर्ति लाकर उसे विधि विधान से घर में स्थापित किया जाता है। इसके साथ ही घर में घट या कलश स्थापना भी की जाती है। साथ ही एक दूसरे कलश में जावरे या जौ उगाए जाते हैं।

माता का जागरण : कई लोग अपने घरों में माता का जागरण रखते हैं। खासकर पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल आदि प्रदेशों में किसी एक खास दि रातभर भजन-कीर्तन होते हैं।

व्रत रखना : पूरे नौ दिन व्रत रखा जाता है। इसमें अधिकतर लोग एक समय ही भोजन करते हैं। प्रतिदिन दुर्गा चालीसा, चंडी पाठ या दुर्ग सप्तशती का पाठ करते हैं।

कन्या भोज : जब व्रत के समापन पर उद्यापन किया जाता है तब कन्या भोज कराया जाता है।

इनकी होती है पूजा : इस नवरात्रि में नौ देवियों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री का पूजन विधि विधान से किया जाता है।

नौ भोग और औषधि : शैलपुत्री कुट्टू और हरड़, ब्रह्मचारिणी दूध-दही और ब्राह्मी, चन्द्रघंटा चौलाई और चन्दुसूर, कूष्मांडा पेठा, स्कंदमाता श्यामक चावल और अलसी, कात्यायनी हरी तरकारी और मोइया, कालरात्रि कालीमिर्च, तुलसी और नागदौन, महागौरी साबूदाना तुलसी, सिद्धिदात्री आंवला और शतावरी।

नौ दिन के प्रसाद : पहले दिन घी, दूसरे दिन शक्कर, तीसरे दिन खीर, चौथे दिन मालपुए, पांचवें दिन केला, छठे दिन शहद, सातवें दिन गुड़, आठवें दिन नारियल और नौवें दिन तिल का नैवेद्य लगाया जाता है।

माता को अर्पित करें ये भोग : खीर, मालपुए, मीठा हलुआ, पूरणपोळी, मीठी बूंदी, घेवर, पंच फल, मिष्ठान, घी, शहद, तिल, काला चना, गुड़, कड़ी, केसर भात, साग, पूड़ी, भजिये, कद्दू या आलू की सब्जी भी बनाकर भोग लगा सकते हैं।

हवन : कई लोगों के यहां सप्तमी, अष्टमी या नवमी के दिन व्रत का समापन होता है तब अंतिम दिन हवन किया जाता है।

विसर्जन : अंतिम दिन के बाद अर्थात नवमी के बाद माता की प्रतिमा और जवारे का विसर्जन किया जाता है।

पंडित कृष्ण मेहता ने बताया की प्रत्येक वर्ष नवरात्रि के प्रारंभ होने के समय, दिन, तिथि के अनुसार माता रानी का अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती है और जाते समय भी तिथि के अनुसार उनका वाहन तय होता है जिसका प्रभाव पूरे वैश्विक पटल पर पड़ता है ।

शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे।

गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥

देवी भाग्वत पुराण के अनुसार नवरात्रि की शुरुआत सोमवार या रविवार को हो तो इसका अर्थ है कि माता हाथी पर सवार होकर आएंगी। शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। इसके साथ जब गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का पर्व आरंभ हो तो इसका अर्थ ये है कि माता डोली पर सवार होकर आएंगी। इस बार शरद नवरात्रि का पर्व गुरुवार से आरंभ हो रहा है। इसका अर्थ ये है कि इस बार माता ‘डोली’ पर सवार होकर आएंगी।

इस वर्ष माता का आगमन डोली में होना शुभ संकेत नहीं है परंतु हम सभी इस नवरात्रा माता रानी से प्रार्थना करें कि हम, हमारा परिवार, हमारा समाज, हमारा देश-विदेश, समस्त जगत का कल्याण हो । सभी प्राणियों की रक्षा हो।

शारदीय नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त बारे पंडित कृष्ण मेहता ने बताया की

वर्ष 2021 मे शारदीय नवरात्रे 7 अक्टूबर से प्रारम्भ  होकर 14 अक्टूबर तक रहेंगे, विजयदशमी यानी दशहरा का त्यौहार 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

इस वर्ष शारदीय नवरात्र नौ दिनों के होकर 8 दिनो के ही रहेंगे, क्योंकि चौथे नवरात्रे अर्थात चतुर्थी तिथि का क्षय हो रहा है। दरअसल 9 अक्तूबर को तृतीया तिथि प्रातः 7:49 am तक रहेगी, तदोपरान्त चतुर्थी तिथि यही से आरंभ होकर 10 अक्तूबर प्रातः 4:56 am तक रहेगी, यानि की चतुर्थी तिथि का क्षय हो रहा है। 10 अक्तूबर को पांचवा नवरात्र रहेगा। अतः  इस वर्ष नवरात्र केवल आठ दिन के हैं, संक्षेप में इस बार तीसरा और चौथा नवरात्र 9 अक्तूबर को एक ही दिन मनाया जायेगा।

नवरात्रे घटस्थापना का मुहूर्त-7.10.2021

6:13 am से 7:40 am तक।

मुहूर्त की कुल अवधि-1 घंटे 27 मिनट

शारदीय नवरात्रि 2021 तिथियां:-

7 अक्टूबर (पहला नवरात्र)- मां शैलपुत्री की पूजा

8 अक्टूबर (दूसरा नवरात्र)- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

9 अक्टूबर (तीसरा तथा चौथा नवरात्र)- मां चंद्रघंटा व मां कूष्मांडा की पूजा

10 अक्टूबर (पांचवा नवरात्र)- मां स्कंदमाता की पूजा

11 अक्टूबर (छठा नवरात्र)- मां कात्यायनी की पूजा

12 अक्टूबर (सातवाँ नवरात्र)- मां कालरात्रि की पूजा

13 अक्टूबर (आठवां नवरात्र)- मां महागौरी की पूजा, दुर्गाष्टमी

14 अक्टूबर (नौवा नवरात्र)- मां सिद्धिदात्री की पूजा, महानवमी

15 अक्टूबर- दशमी तिथि- विजयादशमी या दशहरा

नवरात्र पूजन तथा पूजा हेतू तैयारियां:-पंडित कृष्ण मेहता ने बताया कीयदि घर मे किसी प्रकार की मरम्मत या रंग-रोगन की आवश्यकता हो तो नवरात्र शुरू होने से पहले ही करवा ले, जिससे पर्व-त्यौहारों- पूजन के समय “देवतत्व” (सकारात्मक ऊर्जा) को निर्विघ्न घर मे प्रवेश की सुविधा हो और नकारात्मक शक्तियाँ घर मे न रहे ।

1. सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत्त होकर पूजाकक्ष या पूजाघर को स्वच्छ करे, तैयारी के समय भी मां दुर्गा के किसी भी महामंत्र का या “राम नाम” का  जाप करते रहे । जिससे ईश्वरीय तत्व या सात्विकता बढने लगती है ।

2. सारी पूजा सामग्री को पहले ही एकत्रित करके रखे

3. पूजा-अनुष्ठान मे सपत्नीक तथा सपरिवार सम्मिलित हो ।

4. सिर ढककर रखे, घर के मुख्यद्वार या पूजाकक्ष के द्धार पर विषम संख्या मे आम के पत्तो से बनाकर वंदनवार लगाये, इसी तरह से द्धार के बाहर पीले सिंदूर से स्वास्तिक बनाये ।

5. पूजा स्थल को या वेदी को अपने बैठने के स्थान से कुछ ऊपर लगाए । वेदी को इस प्रकार स्थापित करे कि पूजा करते समय आपका मुख क्रमशः उत्तर-पूर्व, पूर्व या उत्तर दिशा  की ओर रहे ।

6. वेदी पर गणपति भगवान को सबसे दाईं ओर बिठाये, और फिर दुर्गा मां, भगवान शिव, श्री राम तथा सरस्वती मां के चित्र लगाये ।

7. यदि तीन महादेवियो का अनुष्ठान करना हो तो महालक्ष्मी, महासरस्वती तथा महाकाली के चित्र स्थापित करे ।

8. मिट्टी के बर्तन मे दो पोर रेत-मिट्टी डालकर उसमे सात अनाज जैसे जौ, तिल, चावल, चने, उडद,तथा गेहूं बोये,इसे खेतरी बीजना कहते है

पंडित कृष्ण मेहता ने बताया की        इस खेतरी के ऊपर कलश की स्थापना करे, तांबे के कलश पर स्वास्तिक बनाकर उसमे शुद्ध जल, गंगाजल, तीर्थ स्थानो का जल, तीर्थ स्थानो की मिट्टी, तांबे तथा चांदी का सिक्का, सोना, सुपारी, फूल, चावल तथा अन्न के दाने डालकर उसके मुख पर विषम संख्या मे पंचपल्लव ( आम, पीपल, बरगद, पाकड़, गूलर ) लगाकर ढक्कन रखकर, लाल कपडे मे लिपटा नारियल रखे ।

9. घटस्थापना के बाद शुद्ध धी का अंखड दीप प्रज्वलित करे, यह दीप देवता के दाहिनी ओर ( यानि अपने बाई ओर ) रखे, और यदि चाहे तो एक सरसो के तेल की ज्योति भी जला सकते है, यह ज्योति देवता के बाई ओर रखे । इन ज्योत के नीचे अन्न के कुछ दाने अवश्य रखे ।

( देसी धी की ज्योत अनुष्ठान मे सफलता, तथा सुख-समृद्धि दायक है, जबकि सरसो के तेल की जोत बुरी शक्तियों  से हमारे अनुष्ठान की रक्षा करती है ।

धूप-अगरबत्ती भी देवताओं के बांईं ओर लगाये, मां को गुलाब, चंदन, मोगरा, तथा केवडा की अगरबत्ती प्रिय है । अगरबत्ती दो की संख्या मे लगाये ।

10. अब आसन ग्रहण करे, आसन ग्रहण करने से पहले भगवान से हाथ जोडकर प्रार्थना करे कि आसन के स्थान पर आपका चैतन्यमय निवास हो ।

11. अब आप जैसी भी पूजा करना जानते हो ( पंचोपचार, दसोपचार या षोङषोपचार ) स्वयं करे या ब्राह्मण से करवाये ये पूजन गणेश तथा अम्बिका पूजन से शुरू होगा ।

12. मां को सीधे हाथ की अनामिका अंगुली से तिलक करे, ( स्वयं को मघ्यमा अंगुली से आज्ञा चक्र पर खडी रेखा मे लम्बा तिलक लगाये )

13. मां को खुशबू वाले लाल तथा सफेद फूल अर्पित करे, किसी भी भगवान को फूल अर्पित करते हुए, जिस मुद्रा मे फूल खिलते है, यानि ऊपर की ओर मुख किये हुए उसी मुद्रा मे भगवान को अर्पित करे, फूल को देतें समय अंगूठे, मघ्यमा तथा तर्जनी ऊंगली का प्रयोग करे ।

मां पर फूल एक या नौ की संख्या मे चढ़ाये ।

( चढे हुए फूलो (निर्माल्य) को उठाते समय केवल अंगूूठे तथा तर्जनी का ही प्रयोग करे ।)

14. मां की प्रसन्नता प्राप्ति के लिए मां का मंत्र या जयकारा लगाते हुए, चुटकी भर सिंदूर मां के चरणो से आंरभ करके सिर तक चढाये ।

15. गणपति जी को तुलसी छोड़कर सभी प्रकार के फल-फूल चढाये जा सकते है, इन्हे दुर्वा ( दूब )अत्यंत प्रिय है, जबकि दुर्गा मां को दूब न चढाये, मां को तुलसी अवश्य चढाये ।

16. जो भी नैवेद्य ( भोग ) चढाना हो उसपर तुलसी का पत्ता अवश्य रखे, तुलसी देव तत्व है, इसमे से जो देव तरंगे निकलती है वह  देवताओ को अंत्यत प्रिय है, वह इसे तुरंत स्वीकार करते है ।

17. नवरात्रो के अंतिम दिन, पारिवारिक परंपरा के अनुसार अष्टमी या नवमी पूजन मे यदि करना चाहे तो हवन कर सकते है, या सामान्य पूजा के बाद कजंक अवश्य बिठाये, इसमे एक लौंकडा यानि छोटा लडका अवश्य होना चाहिये ।

18. नवरात्रो मे सभी नवरात्र के व्रत करने का विधान है, परंतु यदि सभी व्रत करने संभव न हो तो आप आखिरी के दो नवरात्रो के व्रत करे, अष्टमी पूजने वाले छठे और सातवें नवरात्रे का व्रत करे, नवमी पूजने वाले सातवे और आठवे नवरात्रे का व्रत करे ।

19.परंतु ध्यान रखे ये व्रत पूजा से पहले के दो दिन या फिर अंतिम के दो दिनो मे ही रखे जाने चाहिये, इसके विपरीत कुछ लोग एक व्रत पहले नवरात्रे तथा दूसरा व्रत आखिर मे रखते है, जोकि सही नही है, क्योंकि पहले नवरात्रे के बाद व्रत का पारण किए बिना बीच के दिनो (नवरात्रो) मे सामान्य अन्न या भोजन लेते रहना कुछ सही प्रतीत नही होता।

20. बिना व्रत रखे भी नवरात्रो मे मां की विभिन्न प्रकार से पूजन तथा पाठ किये तथा श्रवण किये जा सकते है । ( जैसे कि दुर्गा सप्तशती या देवी पुराण इत्यादि ।)

नवरात्र के टोटके , पूरी हो सकती है हर मनोकामनाएं ।

पंडित कृष्ण मेहता ने बताया की शास्त्रो के अनुसार जीवन के सभी क्षेत्रो में सफलता प्राप्त करने के लिए माँ दुर्गा की आराधना परम सुखदायी है। नवरात्रि माँ दुर्गा को अत्यंत प्रिय है ।शास्त्रो में वर्णित है कि नवरात्रि में माँ दुर्गा अपने भक्तो के सभी कष्ट दूर करती है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्र में किये गए सात्विक उपाय शीघ्र फलदायी होते है। नवरात्र में कुछ अचूक उपायों को करके भक्तो की सभी मनोकामनाएँ निश्चय ही पूर्ण होती है। यहाँ पर ऐसे ही नवरात्रि के अचूक उपाय दिए जा रहे है जिन्हें पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास से करने से जीवन में सुखो का वास रहेगा।

पंडित कृष्ण मेहता ने बताया कि नवरात्रि में पूजा के समय प्रतिदिन माता को शहद एवं इत्र चड़ाना कतई भी न भूले । नौ दिन के बाद जो भी शहद और इत्र बच जाएँ उसे प्रतिदिन माता का स्मरण करते हुए खुद इस्तेमाल करें …..मां की आप पर सदैव कृपा द्रष्टि बनी रहेगी।

नवरात्र में माता दुर्गाजी को शहद को भोग लगाने से भक्तो को सुंदर रूप प्राप्त होता है व्यक्तित्व में तेज प्रकट होता है।

नवरात्री में माँ दुर्गा की आराधना “लाल रंग के कम्बल” के आसन पर बैठकर करना अति उत्तम माना गया है। इससे सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

नवरात्र में स्थाई लक्ष्मी प्राप्ति के लिए नित्य पान में गुलाब की 7 पंखुरियां रखकर तथा मां दुर्गा को अर्पित करें ।

पंडित कृष्ण मेहता ने बताया कीनवरात्र में प्रतिदिन नीचे दिए गए मंत्रो का ज्यादा से ज्यादा जाप करें ।

1 . “सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते “।।

2 . “ऊँ जयन्ती मङ्गलाकाली भद्रकाली कपालिनी ।दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते” ।।

नवरात्र में प्रात: श्रीरामरक्षा स्तोत्र का पाठ करने से हर कार्य सफल होते है,कार्यों के मार्ग में आने वाली समस्त विघ्न बाधाएं शांत होती हैं।

नवरात्रि को माँ दुर्गा के साथ बजरंग बलि की पूजा विशेष फलदायी है। इस दिन जो भी भक्त हनुमान चालीसा का पाठ करता है या सुंदरकांड का पाठ करता तो उसे शनिदेव भी नहीं सताते हैं। नवरात्रि में हनुमान ही की कृपा प्राप्त करने के लिए यह उपाय करें ।

नवरात्र के शनिवार को सूर्योदय के पहले पीपल के ग्यारह पत्तें लेकर उन पर राम नाम लिख कर इन पत्तों की माला बनाकर इसे हनुमानजी को पहना दें। इससे कारोबार की सभी परेशानिया दूर होती है ,यह प्रयोग बिलकुल चुपचाप करें।

यदि किसी जातक का लाख प्रयासों के बावजूद भी कर्जे से पीछा नहीं छुट रहा है तो वह नवरात्री में माँ के श्री चरणों में 108 गुलाब के पुष्प अर्पित करें। प्रात: माता की पूजा के समय सवा किलो साबुत लाल मसूर लाल कपड़ें में बांधकर अपने सामने रख दें। घी का दीपक जलाकर माता के किसी भी सिद्ध मंत्र का 108 बार जाप करें। पूजा समाप्त होने के पश्चात मसूर को अपने ऊपर से 7 बार उसार कर किसी भी सफाई कर्मचारी को दान में दे दें। इससे माता की कृपा से कर्जें से छुटकारा मिलने का रास्ता बनने लगेगा ।

पंडित कृष्ण मेहता ने बताया की यदि किसी व्यकित के ऊपर कर्ज है और लाख चाहने के बाद भी उतर नहीं पा रहा है तो वह जीवन भर का एक नियम बना ले कि उसे नित्य चींटीयों को शक्कर मिलाकर आटा / या पंजीरी ( आटे में चीनी को भून कर ) किसी पेड़ के नीचे या जहाँ पर चींटियों का बिल है वहाँ पर डालना है । इस प्रयोग को लगातार करते रहने से कर्ज समाप्त हो जाता है फिर इतनी आमदनी होने लगती है कि कर्ज को भविष्य में लेने की जरूरत ही नहीं रहती है। इस प्रयोग को अगर किसी शुभ मुहूर्त , नवरात्र में किया जाय तो इसका शीघ्र ही फल मिलता है ।

नवरात्रि में दिल खोलकर आप अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार दान पुण्य करें …इन दिनों आपके द्वारा दान पुण्य करने से उसका अक्षय फल प्राप्त होता है । आप प्रतिदिन छोटी कन्याओं को कोई न कोई उपहार अवश्य जी दें । अपने माता पिता, बहन-भाई और पत्नी को भी कोई न कोई उपहार देकर चकित जरुर करते रहें, गरीब और असहाए की मदद करने का मौका तो बिलकुल भी न गवाएं। यकीन मानिये उन सभी के मुख से आपके लिए शुभ वचन निकलते ही रहेंगे ।

आपने माता का आह्वान किया है उन्हें अपने घर में बुलाया है इसलिए सुबह शाम जो भी घर में भोजन बनायें सबसे पहले उसका देवी माँ को भोग लगायें उसके बाद ही घर के सदस्य उसका सेवन करें याद रहे माता या किसी भी मेहमान को भूखा न रखें ।

नवरात्र में आप अनावश्यक व्यय से बचें लेकिन यदि संभव हो तो इन दिनों सोने चाँदी के गहने, कपड़े, बर्तन आदि कुछ न कुछ नया सामान अपनी सामर्थ्य के अनुसार अवश्य ही खरीदें तथा इसे उपयोग में लाने से पहले माता के चरणों में लगायें। इससे घर में सुख सौभाग्य आता है स्थाई संपत्ति का वास होता है।

पंडित कृष्ण मेहता ने बताया कीघर के छोटे बच्चो विधार्थियों से माता दुर्गा को केले का भोग लगवाएं फिर उनमे से कुछ केले दान में दे दें एवं बाकी केलो को प्रसाद के रूप में घर के लोग ग्रहण करें इससे बच्चों की बुद्धि का विकास होता है।

नवरात्र में दो जमुनिया रत्न लेकर उसे गंगा जल में डुबोकर घर के मंदिर में रखे फिर हर शनिवार को माता दुर्गा का स्मरण करते हुए उस जल को पूरे घर में छिड़क दें, घर के सदस्यों के बीच में प्रेम बड़ने लगेगा । इसके बाद पुन: इन रत्नों को गंगा जल में डुबोकर मंदिर में रख दें ।इस प्रयोग को नवरात्र से ही शुरू करें तो अति उत्तम है।

नवरात्र में एक नए झाड़ू की दो सीकों को उल्टा सीधा रखकर नीले धागे से बांधकर घर के नैत्रत्य कोण ( दक्षिण पश्चिम हिस्सा ) में रखने से पति पत्नी के मध्य प्यार बड़ता है।

नवरात्र के सोमवार और शनिवार के दिन शिवलिंग पर काले तिल और जल चढ़ाएं यह उपाय बीमारियों से मुक्ति दिलाने वाला बहुत सरल और कारगर उपाय है।

नवरात्रि सप्तमी के दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है । माँ कालरात्रि की कृपा के लिए दुर्गा सप्तशती के 7वें और 10 वें अध्याय का पाठ करना चाहिए । माँ कालरात्रि की कृपा से शत्रुओं का नाश होता है राजद्वार, मुक़दमे में विजय मिलती है ।

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