चंडीगढ़:- 15 सितंबर:- आरके शर्मा विक्रमा+करण शर्मा:– श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण जी भौतिक संसार को आदर्श जीवन जीने की कला का ज्ञान देते हुए कहते हैं कि जीवन में संघर्ष और प्रयास हमेशा आखरी सांस तक बनाए रखें! और अपने संघर्ष और प्रयास से अपने परिवार, अपने समाज व अपने धर्म सहित अपने राष्ट्र का कल्याण व सदा सेवा करें। संघर्ष और प्रयास सिर्फ खुद के लिए किया जाए, तो वह स्वार्थ है। स्वार्थ से की सेवा तो निष्फल है। और सेवा गर किसी दूसरे की की जाए तब वह परमार्थ कहलाती है। इसी परमार्थ को सामने रखते हुए अपने हरे-भरे कक्कड़ परिवार में बतौर हाउस कैप्टन की भूमिका निभाने वाले सतीश चंद्रा कक्कड़ अपने सांसारिक दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए 12-13 सितंबर की रात्रि को इस संसार को अलविदा कह गए।
सतीश चंद्र कक्कड़ का जन्म 19 अक्टूबर 1947 को हुआ था और अपने परिवारिक संसार एक जिम्मेदारियों को जवाबदेही से निभाते हुए 12 सितंबर 2021 को उन्होंने इस फरेबी दुनिया को अलविदा कह दिया। 31 अगस्त 2019 को सतीश चंद्रा कक्कड़ की धर्मपत्नी शारदा कक्कड़ का देहावसान हुआ था। तब से घर के बड़े बुजुर्गों की दोनों जिम्मेदारियां सतीश चंद्रा कक्कड़ खुशी खुशी और सूझबूझ से परिवारिक सदस्यों की खुशियों के लिए खुद निभा रहे थे।
सेक्टर 27 स्थित श्री सनातन धर्म मंदिर में आज सतीश चंद्रा कक्कड़ की भोग और रस्म उठाला की सांसारिक रस्म निभाई गई। और उनके ज्येष्ठ पुत्र संजय कक्कड़ के सर घर-परिवार, रिश्तेदारों और समाज की तमाम जिम्मेदारियों की पगड़ी बांधी गई है।
श्री सनातन धर्म मंदिर का विशाल सभागार दिवंगत आत्मा सतीश चंद्रा कक्कड़ के शोकाकुल परिजनों रिश्तेदारों मित्रों और समाज के बुद्धिजीवियों पॉलीटिशियन, प्रशासनिक अधिकारियोंं की मौजूदगी में भेद शून्य सन्नाटा और शोक लिए हुए था। दिवंगत आत्मा की अटूट शांति हेतु गरुड़ पुराण कथा का वाचन किया गया।
इस मौके पर स्थानीय पार्षद दविंदर सिंह बबला और अनेकों बुद्धिजीवियों और उनके अनेकों चाहने वाले हमउम्र सीनियर नागरिक मित्र शोकाकुल परिवार को ढांढस बंधाने पहुंचे।
दिवंगत सतीश चंद्रा कक्कड़ अपने पीछे अपना जेष्ठ पुत्र संजय कक्कड़ उनकी धर्मपत्नी विभा भल्ला कक्कड़, बेटी सोनिया और दमाद साहिल महाजन व पौत्र श्रेयस और सर्वेश और दोहती समीहा को परमपिता परमेश्वर की अनुकंपा के सहारे छोड़ गए हैं।