रक्षा बंधन में छिपे हैँ बुध के उपाय: पंडित कृष्ण मेहता

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चंडीगढ़:21 अगस्त : आरके शर्मा विक्रमा करण शर्मा प्रस्तुति:—राखी का त्यौहार अगर देखा जाये तो जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है अन्यथा एक रस्म है जो भेड़ चाल में निभाई जा रही है हाथ की कलाई कुंडली का तीसरा घर माना गया है ओर यह मंगल बुध का साझा घर है एक धागा अगर कलाई पर बांध दिया जाये तो रक्षा सूत्र का काम करता है ओर मंदिर में बांध दिया जाये तो मन्नत पूरी कर देता है मगर दोनों जगह धागा ही है क्योंकि धागा बुध का माना गया है मन्नत के लिये दूसरे घर यानि धर्म स्थान में ये बृहस्पति का फल देता है ओर आशीर्वाद देने में बृहस्पति सर्वदा अग्रणीय ग्रह माना गया है इसलिये मन्नत पूरी हो जाती है कलाई पर बाँधने से मंगल ओर बुध का मिश्रण बनता है जो शनी स्वभाव माना गया है इसके साथ ही तीसरा घर पराक्रम का भी है ओर बिना शनी के दुश्मनों पर विजय पाना मुश्किल है इसका उदाहरण देखें तो गणेश वध के दौरान शनी नें भगवान शंकर को अपने त्रिशूल पर विराजमान करने का आग्रह किया था अन्यथा गणेश जी की ताकत को पार पाना मुश्किल था ज़ब शनी पराक्रम में विराजमान हुआ तब गणेश जी का सिर धड़ से अलग हो पाया राखी का धागा भी शायद इसलिये रक्षा सूत्र माना गया है मगर इसमें छठा भाव शत्रु का है जो बुध केतु दोनों से संचालित है ओर दोनों आपस में दुश्मन भी है द्रोपदी नें श्री कृष्ण की कलाई पर अपनी ओढ़नी का हिस्सा फाड़ कर बांधा था तो चुन्नी ओढ़नी भी बुध मानी गई है बदले में कृष्ण जी नें रक्षा का वचन दिया था यहाँ वचन जो है ये केतु से संबध रखता है इसलिये बहन की रक्षा वही भाई कर पाते है जो वचन के पक्के हों अगर वचन हार हो गये तो केतु बिगड जायेगा ओर बिगड़ा हुआ केतु छठे घर को कभी नहीं जीतने देगा यानि दुश्मन पर विजय हासिल नहीं कर पायेगा ये भले समय की बातें हैँ जो त्यौहार के रूप में मनाई जाती है आज महज एक परम्परा बन कर रह गई है अम्ल बहुत कम किया जाता है क्योंकि कदम कदम पर झूठ फरेब धोखा खड़ा है ऐसे में बहन को दिया वचन तो दूर की बात है ख़ुद को दिया वादा याद नहीं रहता जहाँ भाई के मायने बदल गये वहाँ बहन के भी सिद्धांत बदल गये नुकसान दोनों को बराबर है भाई का अगर बुध खराब होगा तो प्रत्येक जगह अड़चन देगा ओर बहन का मंगल खराब होगा तो प्रत्येक मांगलिक कार्य में बाधा आएगी जिन घरों में बहन बेटी का सम्मान है उनका बुरा समय आ भी जाये तो ज्यादा समय नहीं रहता क्योंकि बुध एक राशि पर लम्बे समय भ्रमण नहीं करता ओर तकलीफ देने वाला ग्रह राहु 18 महीने एक राशि पर चलता है जो बुध के अनुसार फल देता है अगर कुंडली में बुध अच्छा होगा तो राहु तकलीफ नहीं देगा इसलिये ये भी कहा जा सकता है कि राहु बदनाम है असली काम तो बुध करता है लिखने को इस विषय पर बहुत लम्बा लेख लिखा जा सकता है मगर सूक्ष्म रूप में इतना काफ़ी है कि भाई भाभी अपनी ननद का ख्याल रखें ओर बहन बेटी अपने भाई भाभी का सम्मान करें तो सत्तर प्रतिशत तकलीफ वैसे ही नहीं आएगी ज़ब तक हमारे हिन्दू समाज में त्योहारों का महत्व समझा जाता था तब तक शायद वास्तु, ज्योतिष का इतना महत्व नहीं था क्योंकि उपाय वार त्यौहार अपने आप हो जाते थे अब कन्या को हलुआ खिलाओ, चॉकलेट बांटो, मूंग कबूतर को डाल दो कोड़िया जला कर जल प्रवाह कर दो, हिजड़ो को हरे वस्त्र दे दो ये सब बुध के ही उपाय है तो क्यों न ईश्वर नें बहन, बेटी,ननद,जेठूती, भतीजी जो रिश्ते के रूप में दी है उसको ख़ुश कर दो हरियाली अपने आप बढ़ती जाएगी क्योंकि बुध का काम है अच्छे बुरे फल को बढ़ाना ओर रिश्ते में लगने वाली बहन बेटी की जड़ हमारे घर में है जहाँ उसने जन्म लिया है इसलिये सबसे पहले जड़ में पानी डालें बेल होती है उसका फैलाव तो पड़ोसियों के घरों में भी होता है मगर पानी तो हम जड़ में ही डालते हैँ !
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