चंडीगढ़:–18 मार्च:- अल्फा न्यूज़ इंडिया डेस्क:– ओए ओए —तेरी बहन की—— तेरी मां की—– पट्ट लै साड्डा—-बुररे— और ना जाने किस2 तरह का गाली गलौज रात के 11:30 बजे आर्य समाज मंदिर सेक्टर 22 के बाहर दारूबाजों ने खूब शोर शराबा हुल्लड़ बाजी का नंगा तांडव नाचते हुए सेक्टर वासियों का जीना दुश्वार कर रखा था। चारों और दहशतगर्दी और असुरक्षा का माहौल बना हुआ था।
ऐसे में अल्फा न्यूज़ इंडिया को मालूम पड़ा कि 22 में आर्य समाज मंदिर के बाहर शराबियों ने कोहराम मचा रखा है। और विद्यार्थी जो रात के शांत माहौल में परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं। बुजुर्ग लोग जो अपनी कष्टदायक बीमारी से जूझते हुए बमुश्किल सोने का प्रयास कर रहे हैं। सबकी नींद में खलल का सबब बनते हुए असमाजिक तत्व खाकी वर्दी व कानून के पैराकारों को खुलेआम चुनौती पेश कर रहे थे। जैसे ही पुलिस ऑफिशियल जे०बी० को उनके फोन पर अल्फा न्यूज़ इंडिया ने इतिला दी। तो उन्होंने तुरंत मौके की नजाकत को समझते हुए तुरंत नाइट ड्यूटी आफिशियल स्टाफ को वहां रवाना किया। इसके बाद जैसे ही हुड़दंग मचाने वालों को भनक पड़ी कि इलाका पुलिस दल बल मौके पर पहुंच रहा है। तो सब खिसकते बने। स्थानीय पब्लिक ने पुलिस की तुरंत कार्रवाई और सजगता को अल्फा न्यूज़ इंडिया के माध्यम से सेल्यूट किया है।
गौरतलब है कि पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए घटनास्थल की ओर कूच किया। इसकी भनक लगते ही सभी शराब भी नौ दो ग्यारह हो गए। लेकिन यह शराबियों का हुड़दंग कोई पहली मर्तबा का नहीं होता है।स्थानीय लोगों को परेशान करने का ड्रामा एकाध मर्तबा का नहीं होता। यह तो हर रोज का उनका दहशत गर्दी का आलम है। लेकिन पुलिस ने अब आगे से इस तरह की और घटना ना घटे। इसके लिए कमर कसी है। इससे भी बदतर हालात रात को 11:00 बजे के बाद शास्त्री मार्केट और साथ लगते मूनलाइट पार्क में हर रात को आम देखे जाते हैं। वहां कभी कबार ही पुलिस पीसीआर की गाड़ी ऐन मौके पर राउंड करती है। और जब पीसीआर की गाड़ी राउंड करती है तो तब तक सेक्टर वासियों को परेशान कर हुडदंग मचाने वाले जा चुके होते हैं। शराबियों का रोज का खेल तमाशा बन चुका है। इनके आगे लगता है कानून के रखवाले भी अपाहिज होकर रह गए हैं।अल्फा न्यूज़ इंडिया अपने सैक्टर ही नहीं बल्कि शहर के बाशिंदों से पुरजोर मांग करती है कि वह व्यवस्था शांति सुरक्षा बनाए रखने में पुलिस की हर मदद हर संभव हर वक्त करने को तत्पर रहें।
क्योंकि पुलिस पब्लिक के लिए है। तो पब्लिक पुलिस के लिए क्यों नहीं है।।