पचवा की 10 वर्षीया, हल्लोमाजरा की 6 वर्षीया बच्ची को दोगुनी उम्र के दरिंदों का होना पड़ा शिकार

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चंडीगढ़:- 8 मार्च:- आर के विक्रमा शर्मा/ करण शर्मा/ एनके धीमान:–समूचा विश्व आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा है नारी को शक्ति अधिष्ठात्री के रूप में स्थापित किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर 6 वर्षीया बच्ची को दैहिक हवस के चलते अगवा करके दुगनी उम्र के  अपराधी द्वारा सिर पर पत्थर मार मार कर मौत के घाट उतार दिया गया। बच्ची की मां बच्ची को पैदा करने का इस घटना के बाद से अफसोस मना रही है। और समाज की बाकी बच्चियां दहशतज़दा हैं। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की खरी कसौटी क्या होगी। यह खुद ब खुद दुखदाई घटना बयां कर रही है।।

एजुकेटेड एंड पीसफुल सिटी ब्यूटीफुल के गांव हल्लोमाजरा की 6 वर्षीया स्कूली बच्ची को अगवा करके जंगल में ले जा कर सिर पर पत्थर मार मार कर मौत के घाट उतार दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रतीक्षा जारी है। ताकि ज्ञात हो सके कि बच्ची की मौत से पहले उसके साथ बलात्कार की घटना को भी अंजाम दिया गया है या नहीं।। लेकिन इस घटना ने यूपी फिरोजाबाद के थाना जसराना क्षेत्र पचवा गांव की खौफनाक घटना  ताजा कर दी। इसमें 10 वर्षीया बालिका गांव के पूर्व प्रधान के घर में भरपेट दावत खाने गई थी। लेकिन गांव के ही नीरज नाम के एक 20 साला युवक जो बालिका को बहला-फुसलाकर जंगल में ले गया। वहां दुष्कर्म किया। और बालिका को बेहोश दशा में ही छोड़ कर आरोपी फरार हो गया था। ठीक ऐसे ही हल्लोमाजरा की 6 वर्षीया स्कूल जाती एक बालिका को साइकिल पर एक 12 साल का लड़का अगवा कर कर जंगल में ले गया और शुक्रवार शाम से लापता यह 6 वर्षीय बच्ची शनिवार को जंगल में श्मशान घाट के पास अर्धनग्न अवस्था में मिली और नाक और कान से खून निकल कर जमा हुआ था। सिर पर पूरी तरह से पत्थर के वार किए गए थे। इस उम्र की बच्ची का निर्ममता पूर्वक कत्ल क्यों किया गया। यह मौके वारदात का सीन खुद बयां कर देता है। 12 साल के लड़के ने लड़की के साथ कुछ गलत किया। डर था लड़की घर आकर बता देगी। इसी डर से उसने उसके सर पर पत्थर मार मार के उसको मौत के घाट उतार दिया।हेलो माजरा गांव की गली में लगे किसी सीसीटीवी कैमरे में कैद लड़के को पहचान कर गिरफ्तार किया गया। जिसकी महज उम्र 12 वर्ष बताई जा रही है। उसके साथ और कौन-कौन लोग थे। पुलिस इसकी भी जांच कर रही है। बच्ची के मुकाबले उम्र में दुगना यह आतताई शारीरिक और दिमागी तौर पर भी बलिष्ठ और बलवान है।

लेकिन इन जघन्य अपराधों, बलात्कारों की घटनाओं का इजाफा और लगातार जारी रहना, हमारी कानून व्यवस्था और वर्दी की खौफ के खोखलेपन की ओर इशारा करती है। लेकिन कहीं ना कहीं हमारा समूचा समाज इन वारदातों की पुनरावृति के लिए कसूरवार है। कानून का खौफ ना के बराबर है। और ऐसे अपराधों के केसों की सुनवाई लंबे समय तक चलने से और बलात्कारियों को, अपराधियों को जमानत मिलने से ऐसी घटनाओं में इजाफा होना स्वभाविक है। फास्ट ट्रैक कोर्ट महज एक हफ्ते के अंदर अदर हर तरह की कानूनी कार्रवाई को अंजाम देकर, अपराधी को सजा-ए-मौत दी जाए। और इसके लिए उम्र के बड़ा छोटा होने का कोई भी तकाजा ना रखा जाए। कानूनी प्रक्रिया और दंड देने की प्रक्रिया को यथाशीघ्र निपटाया जाए। ताकि ऐसी दिल दहला देने वाली जघंय अपराधों का सबब बनने वाली घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। 

दूसरा ऐसे जघंय  अपराध और बलात्कारों की पैरवी कोई भी वकील किसी भी सूरते हाल में कभी ना करें। तो यह अपराधिक पुनरावृति थम सकती है। और समाज के हर वर्ग को ऐसे अपराधों को रोकने के लिए पुलिस और कानून का शत प्रतिशत साथ देना चाहिए। और अपराधी को उसके जुर्म की सजा 100 फ़ीसदी कठोरता से दी जानी चाहिए। ताकि यह उदाहरण बनकर समाज में फैलती विकृतियों विषमताओं विवादों और बलात्कार कत्ल जैसी घटनाओं की पुनरावृति पर रोक लगाएं।

ऐसी वारदातों में पुलिस का संबंधित क्षेत्र के नामावर लोगों और अपनी ही दूसरे क्षेत्र की पुलिस से संपर्क में अभाव भी आड़े आता है। कई बार पुलिस एक दूसरे क्षेत्र की पुलिस को नीचा दिखाने के लिए असहयोग की नीति अपनाती है। जो बहुत ही निंदनीय और गैरकानूनी है। ऐसे केसों को प्राथमिकता के आधार पर पुलिस को मिलजुल कर दृढ़ता और शीघ्रता से अंजाम देना चाहिए। पब्लिक और प्रेस को भी इसमें अहम रोल आगे बढ़कर निभाना होगा। सभी मिलकर एकजुट होकर ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने की कारगर कार्यवाही करेंगे। तो यह अपराध जारी रहना बिल्कुल असंभव हो जाएंगे।

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