चंडीगढ़:- 23 नवंबर:-आरके विक्रमा शर्मा/ करण शर्मा:—- केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी सरकार देशभर में निजीकरण की किस प्रकार की गतिविधियां छेड़े हुए हैं, इसके बारे में कुछ ना कहते हुए अभी चंडीगढ़ की राजकीय मुद्रण व लेखन सामग्री विभाग को बंद किए जाने के बाद केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ के बिजली विभाग के निजीकरण की ओर कड़ा रुख अपनाया है। आज सरकार की इसी निजीकरण के विरोध में सरकारी विभागों की तमाम जत्थेबंदियों, यूनियनों और ऐसोसिएशनों आदि ने शहर की वेलफेयर सोसाइटीज व संगठनों आदि के साथ सांझे तौर पर सरकारी तंत्र की और केंद्र सरकार की दिल खोलकर मुर्दाबाद की।। इस मौके पर यूनियनों के प्रभावशाली प्रधानों ने सरकार की निजी करण प्रणाली के खिलाफ खुलकर भड़ास निकाली। और सरकार की खुले कंठ से भर्त्सना भी की।। इस मौके पर चंडीगढ़ की गवर्नमेंट प्रेस यूटी चंडीगढ़ को यकलखत बिना किसी ठोस आधार के तत्काल प्रभाव से बंद कर दिए जाने की भी खूब निंदा की गई।। इस मौके बताया गया कि देश भर की इसी तरह 16 अन्य प्रिंटिंग प्रेसों को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया। और आज इस प्रेस के तमाम कर्मचारी यहां वहां दूसरे विभागों में शरणार्थियों की तरह बकाया नौकरी करने को मजबूर हैं। हजारों की इस रैली में गुप्त सूत्रों से एकत्रित समाचारों मुताबिक अगले 2024 के लोकसभा चुनाव में चंडीगढ़ में कोई भी लोकतंत्र की हत्या करने वाली पार्टी और केंद्र की भाजपा नीत सरकार को यहां से जीत मुबारक नहीं होने देगी।।
शहर की अनेकों यूनियनों ने एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए हजारों की संख्या में जुलूस की संख्या में यहां पहुंच कर राजभवन की ओर रुख़ किया, तो रास्ते में ही चंडीगढ़ पुलिस ने बड़ी सूझबूझ से उन्हें रोका। दर्जनों यूनियनों के कद्दावर नेताओं ने दहाड़ कर सरकार के कर्मचारी विरोधी रवैया की सख्त शब्दों में निंदा की। और इसे सरकार की बड़ी नालायकी भरा कदम बताया। जो के सरकारी कर्मचारियों के शोषण का सबब है।। आज के इस विशाल धरना प्रदर्शन में कई सैकड़ों की संख्या में हर उम्र दराज की महिला कर्मचारियों ने भी सरकार के अड़ियल और निजीकरण वाले रवैया के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।। और इसे सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों का खुला हनन बताया। यह भी कहा गया कि आजादी से लेकर आज तक पूर्व की सत्तासीन सरकार ने कभी भी सरकारी कर्मचारियों के इस तरह पद-दलन किए जाने की कार्यवाही को अंजाम नहीं दिया!! लेकिन हैरत है कि जिस पार्टी को सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों के लोगों ने जिता कर केंद्र में सत्तासीन किया। आज उसी सरकार ने उनके अधिकारों का गला घोटते हुए उन्हें शरणार्थी कर्मचारी बना कर रख दिया है।
और सबसे दुखद बात यह है कि स्थानीय महिला सांसद ने एक बार भी इन विभागों के निजीकरण के खिलाफ कोई आवाज उठाना तो दूर, सांत्वना तक नहीं दी। जबकि इसी पार्टी के पूर्व लोकप्रिय सांसद ने कर्मचारियों के साथ गहरी सहानुभूति भी जताई है। इस सांसद ने यूटी प्रेस के कर्मचारियों के साथ भी अपने सहानुभूति और अपने स्तर पर उनकी समस्या को ऊपरले स्तर तक ले जाने की सराहनीय हामी भरी थी। इस विशाल जनसैलाब में अनेकों बार पूर्व कांग्रेसी सरकार के सांसद और शहर के जाने-माने शहर के हितैषी कहे जाने वाले लोकप्रिय नेता व पूर्व केंद्रीय उड्डयन मंत्री (राज्य)हरमोहन धवन को भी सरकारी कर्मचारी वर्ग का शुभचिंतक करार दिया गया।।
तमाम यूनियनों के नेताओं ने खुली चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने निजीकरण का फैसला नहीं बदला तो समूचे शहर को बिजली से वंचित कर दिया जाएगा और निजीकरण के खिलाफ जो भी करने की जरूरत समझी जाएगी दिल खोल कर उस को अंजाम दिया जाएगा सरकार को वक्त की नजाकत को भांपते हुए तुरंत अपने फैसले पर गंभीर विचार करना होगा।। ना कि किसान विरोधी बिल की माकिफ अड़यल रवैया अपनाये रखना होगा।। शहर भर में आज सारा दिन सार्वजनिक स्थलों मार्केट, बड़े बाजारों और सरकारी और गैर सरकारी अदायरों में सरकार की किसानों के साथ-साथ सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों का हनन करने के साथ उन्हें जलालत की जिंदगी जीने पर मजबूर करने की खूब निंदा की गई।। यही नहीं मौजूदा सरकार की पार्टी के अनेकों पदाधिकारियों ने भी अगले बगले झांकते हुए अपनी ही सरकार की सच्चाई से खूब निंदा की। और आने वाले दिनों में यही पदाधिकारी दूसरे दलों में विलय करते देखे जा सकते हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं है। यह भी हो सकता है कि यह लोग किसी दूसरी पार्टी में ना जाते हुए अपनी इसी पार्टी को सदा के लिए ही अलविदा कह दें।।