चंडीगढ़:27 मई:- आरके विक्रमा शर्मा प्रस्तोता:– आज कि भौतिक युग में हम आधुनिकता की होड़ में आलस्य और अज्ञानता के वश में होकर अपना वर्तमान भूतकाल भविष्य जीवन के तीनों पड़ा वो का बेरहमी से सत्यानाश कर रहे हैं हमारा खान-पान पहरावा बोलचाल सद्भभाव सद्भावना ए परोपकार देशभक्ति इंसानियत सबकुछ को हम पीछे छोड़कर धन लोलुपता के जाल में फंसे जा रहे हैं। हमारा चरित्र उज्जवल होने के बजाय पतन की ओर अग्रसर है। कहते हैं जैसा खाओगे अन्न वैसा होगा मन।। तो खानपान का हमारे जीवन में सबसे अलग अहम और अग्रणी योगदान होता है। इसी योगदान पर आज डाँ.कैलाश शर्मा पाटोदा,
असिस्टेंट डायरेक्टर, आयुर्वेद विभाग सीकर,
(राजस्थान) बहुत ही जरूरी और बुनियादी जानकारी हमारे सुधी पाठकोंं के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं;-
उत्तम स्वास्थ्य के लिए महत्त्वपूर्ण बातें🌹*
🌹प्रतिदिन बच्चों को प्यार से जगायें व उन्हों बिना कुल्ले किए बासी मुँह पानी पीने की आदत डालें |
🌹 चाय की जगह ताजा गाय का दूध उबालें व गुनगुना होने पर बच्चों को पिलायें| दूध से प्राप्त प्रोटीन्स व कैल्शियम शारीरिक विकास के लिए अति महत्त्वपूर्ण होते हैं |
🌹 सुबह नाश्ते में तले हुए पदार्थों की जगह उबले चने, अंकुरित मूँग, मोठ व चने की चाट बनायें | इसमें हरा धनिया, खोपरा, टमाटर, हलका – सा सेंधा नमक व जीरा डालें | ऊपर से नीबूं निचोड़कर बच्चों को दें | यह ‘विटामिन ई’ से भरपूर है, जो चेहरे की चमक बढाकर ऊर्जावान बनायेगा |
🌹 सब्जियों का उपयोग करने से पहले उन्हें २ – ३ बार गर्म पानी से धो लें | छीलते समय पतला छिलका ही उतारें क्योंकि छिलके व गुदे के बीच की पतली परत ‘विटामिन बी’ से भरपूर होती है |
🌹सब्जियों को जरूरत से अधिक देर तक नहीं पकायें, नहीं तो उनके पोषक तत्त्व नष्ट हो जायेंगे | पत्तेदार हरि सब्जियों से मिलनेवाले लौह (आयरन) तथा खनिज लवणों (मिनरल साँल्ट्स) की कमी को कैप्सूल व दवाईयों के रूप से पूर्ति करने से बेहतर है कि इनको अपने भोजन में शामिल करें |
🌹 सप्ताह में एक दो दिन पत्तेदार हरि सब्जियाँ जैसे पालक, मेथी, मूली के पत्ते, चौलाई बथुआ आदि की सब्जी जरुर खायें | इस सब्जियों को छिलके वाली दलों के साथ भी बना सकते हैं क्योंकि दालें प्रोटीन का एक बड़ा स्त्रोत हैं |
🌹चावल बनाते समय माँड न निकालें |मांड युक्त चावल ही खाएं।
🌹 चोकरयुक्त रोटी साधारण रोटी की तुलना में अधिक ऊर्जावान होती है | आटा हमेशा बड़े छेदवाली छलनी से ही छानें |
🌹दाल व सब्जी में मिठास लानी हो तो शक्कर की जगह गुड डालें क्योंकि गुड़ में ग्लुकोज, लौह-तत्त्व, कैल्सियम व केरोटिन होता है | यह खून की मात्रा बढ़ाने के साथ – साथ हड्डियों को भी मजबूत बनाता है |
हो सके जहां तक चीनी का पूर्ण रुप से त्याग करे।
🌹जहाँ तक सम्भव हो सभी खट्टे फल कच्चे ही खायें व खिलायें क्योंकि आँवले को छोडकर सभी खट्टे फलों व सब्जियों का ‘विटामिन सी’ गर्म करने पर नष्ट हो जाता है |
🌹 भोजन के साथ सलाद के रूप में ककड़ी, टमाटर, गाजर, मूली, पालक, चुकंदर, पत्ता गोभी आदि खाने की आदत डालें | ये आँतों की गति को नियमित रखकर रोगों की जड़ कब्जी से बचायेंगे |
🌹 दिनभर में डेढ़ से दो लीटर पानी पियें |
🌹 बच्चों को चाँकलेट, बिस्कुट की जगह गुड़, मूँगफली तथा तिल की चक्की बनाकर दें | गुड़ की मीठी व नमकीन पूरी बनाकर भी दे सकते है |
🌹जहाँ तक हो सके परिवार के सदस्य एक साथ बैठकर भोजन करें | कम-से-कम शाम को तो सभी एक साथ बैठकर भोजन कर ही सकते हैं | साथ में भोजन करने से पुरे परिवार में आपसी प्रेम व सौहार्द की वृद्धि तथा समय की बचत होती है |
डॉक्टर पाटोदा के मुताबिक अगर किसी भी पीड़ित को या अभिलाषी को किसी भी तरह का स्वास्थ्य संबंधी परामर्श चाहिए, निसंकोच भाव से उनके संपर्क नंबर . 09414291928* पर कभी भी निशुल्क रूप से संपर्क कर सकता है।।।
👉🏻उपरोक्त बातें भले ही सामान्य और छोटी-छोटी है लेकिन इन्हें अपनायें, ये बड़े काम की हैं lll