चंडीगढ़ में प्रधानमंत्री मोदी के हाथ जोड़ विनती को खुलेआम दिखाया ठेंगा

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चंडीगढ़:- 23 अप्रैल:- आरके शर्मा विक्रमा/ एनके धीमान :- यह दिल दहलाने वाली खबरें बनने वाली फोटोज़ चंडीगढ़ के गांव मौली जागरां के पास बसी कई कॉलोनीवासियों की है। यह भीड़ अनियंत्रित है। और अनगिनत है। जोकि बंट रहे राशन को पाने के लिए धक्का-मुक्की करते नजर आ रहे हैं। भीड़ है कि आने में रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। पुलिस अधिकारी और मुलाजम  पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहे हैं। और इनकी तादाद भी ऊंट के मुंह में जीरा के तुल्य ही है।

यहां पर यक्ष प्रश्न यह है कि आखिर सूखा राशन या पका भोजन वितरित करने वाले अथॉरिटी या सोशल वर्कर्स किस व्यवस्था के तहत यह सब करने का दुस्साहस करते हैं।। यहां कोरोनावायरस का खुद पैरों तले कुचले जाने से बुरा हाल हो सकता है।। लेकिन अगर वह कुछ  ना किया और किसी का हाथ पकड़कर खड़ा हो गया तो क्या इस भीड़ को नियंत्रित करने में और फिर सैंपल लेने में चंडीगढ़ तो छोड़ो क्या देश का चिकित्सा प्रबंधन भी कामयाब हो सकता है।। ऐसी भूल या भारी कोताही के मायने क्या हैं। और इन पर किस कानूनी धारा के अंतर्गत जिम्मेदारों  और जवाबदेहों पर मामले दर्ज किए जाने चाहिएं।। आखिर यहां कर्फ्यू में ढील दी गई है तो किन मापदंडों को सामने रखकर रिलैक्सेशन मैन्यू  ड्राफ्ट्स और फिर अप्रूव किया गया ।।

जिस धैर्य से सोशल डिस्टेंसिंग रखने की देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों हाथ जोड़कर विनती की थी। आज उसका औचित्य या उसका महत्व ही कितना है, यह मौलीजगरां में उमड़ा विशाल जनसैलाब बता रहा है।। इस तरह की  अनियंत्रित भीड़ के लिए तो चंडीगढ़ के कई पुलिस स्टेशनों की तमाम पुलिस भी कम पड़ सकती है।। ऐसी भीड़ में तो पुलिस के अधिकारियों और जवानों की अपनी जान भी बहुत बड़े दांव पर लगी रहती है। तो पुलिस अधिकारियों को तुरंत इस ओर तत्काल प्रभाव से उचित कार्यवाही करनी चाहिए। और भविष्य में इस तरह की जिम्मेवारी में कोताही ना बरती जाए, ऐसा सुनिश्चित करना चाहिए।।

वैश्विक महामारी के चलते रोंगटे खड़े कर देने वाली भीड़ अपने पीछे चंडीगढ़ प्रशासन और पुलिस सहित जिम्मेदार और जवाबदेह अफसरों को भी कटघरे में खड़ा करने के लिए क्या नाकाफी है।।

बेहतर होगा जिस भी एरिया में सूखा या पका हुआ राशन बांटना है, वहां के स्कूलों के कमरों में घरों के क्रमानुसार के हिसाब से समूह बनाए जाएं ताकि संबंधित कमरे में उतने ही घरों के लोग सोशल डिस्टेंस बनाते हुए आएं, जितने उस कमरे के लिए निर्धारित किए गए हैं। यह बहुत ही कारगर सुझाव है, अगर प्रशासन इस पर अमल करता है। तो कोरोना वायरस के लिए उचित फासला बना रहेगा और इस महामारी से बचा भी  जा सकेगा।।

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