चंडीगढ़ 8 अप्रैल:- आरके शर्मा विक्रमा/ करण शर्मा:— रक्तदान कन्यादान विद्यादान भूमि दान यह सर्वश्रेष्ठ श्रेणी के दानों में अग्रणी माने जाते हैं कहा जाता है कि दान देने वाला इस भाव से दान करें कि दूसरे हाथ को यह दान देने की क्रिया दिखाई भी ना दे दान हमेशा गुप्त दान महा कल्याण करता है दान और दया भाव से दान की वस्तु दोनों में जमीन आसमान का भेद और अंतर होता है। दान सदैव सुपात्र को ही दिया जाना चाहिए। दान पर यह धर्म वत विचार समाज सेवक और धर्म प्रज्ञ पंडित रामकृष्ण शर्मा ने अल्फा न्यूज़ इंडिया से सांझे किए।
गुप्तदान का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग गुप्त रूप से दान करते हैं, उन्हें अक्षय पुण्य के साथ ही देवी-देवताओं की कृपा से सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं। दूसरों को बता-बताकर दान करने पर पुण्य प्राप्त नहीं हो पाता है
दान की दक्षिणा
दान करते समय दान लेने वाले के हाथ पर जल गिराना चाहिए। दान लेने वाले को दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए।
एक, पांच, ग्यारह, इक्कीस
दान करने से मिलती है मोह से मुक्ति, होते हैं कष्ट दूर,धर्म में दान का खासा महत्व माना गया है. दान देने से जहां मोह से मुक्ति मिलती है वहीं जीवन के दोष भी दूर होते हैं.
दीन, निर्धन, अनाथ, गूंगे, विकलांग तथा रोगी मनुष्य की सेवा के लिए जो धन दिया जाता है उसका महान पुण्य होता है।
गाय, स्वर्ण, चांदी, रत्न, विद्या, तिल, कन्या, हाथी, घोड़ा, शय्या, वस्त्र, भूमि, अन्न, दूध, छत्र तथा आवश्यक सामग्री सहित घर इन 16 वस्तुओं के दान को महादान कहते हैं।
ये सारे दान इंसान को पुण्य का भागी बनाते हैं ।।
@साभार हिम्मत फिंगर व्हाट्सएप यूजर।।।।।