कृष्ण और शुक्ल पक्ष की पापनाशिनी एकादशी करती है समस्त पापों का नाश

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चंडीगढ़ :19 मार्च :अल्फा न्यूज़ इंडिया डेस्क:–-हर माह में 2 एकादशी तिथि आती हैं और मान्यता है कि हर इंसान को दोनों पक्षों की एकादशी रखनी चाहिए, तभी उसे व्रत का फल मिलता है। कभी भी शुक्ल व कृष्ण पक्ष की एकादशी को अलग नहीं समझना चाहिए। इस बार ये व्रत 19 मार्च को रखा जा रहा है और इसका नाम पाप मोचनी एकादशी है। जैसे कि इसके नाम से पता चल रहा है कि ये एकादशी सब पापों को दूर करने वाली होगी। शास्त्रों के अनुसार जो इस एकादशी का व्रत करेगा, उसके सारे पापों का अंत होगा। लेकिन जो लोग व्रत नहीं कर पाते उनके लिए कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होता है।

चावल का सेवन
कहते हैं कि एकादशी के दिन चावल नहीं खाने चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति आज के दिन जावल का सेवन करता है उसका अगला जन्म रेंगने वाले प्राणी के रूप में होता है, इसलिए आज के दिन चावल न खाएं। वहीं इसके विपरीत द्वादशी के दिन चावल खाने से इस योनि से मुक्ति मिल जाती है। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन चावल खाना मांस के सेवन करने के समान माना गया है।

नानवेज से रहें दूर
एकादशी तिथि के दिन मांस-मछली और मदिरापान से परहेज करना चाहिए। बल्कि जो व्यक्ति व्रत रखने जा रहा है तो उसे दशमी तिथि के दिन भी इन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही लहसुन, प्याज, गाजर, मूली, शलजम, गोभी, पालक एवं मसूर की दाल का सेवन भी न करें।
बह्मचर्य का पालन
एकादशी के दिन और दशमी तिथि की रात्रि में शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए। इस व्रत के लिए व्रती को पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है। वरना व्रत का फल नहीं मिलता है।
किसी निंदा न करें
वैसे तो किसी भी किसी व्यक्ति की निंदा नहीं करनी चाहिए। परंतु विशेष रूप से एकादशी तिथि के दिन, व्रत रखने वाले व्यक्ति को यह कार्य नहीं करना चाहिए। किसी के प्रति अपशब्द न बोलें, बल्कि पूरा समय भगवान को याद करते रहें।

दांतून न करें
एकादशी व्रत रखने वाले व्यक्ति को आज के दिन दातून नहीं करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन किसी पेड़ की टहनी से पत्ता न तोड़ें।

क्रोध न करें
गुस्से में व्यक्ति अपना आपा खो देता है और गलत कार्य कर जाता है। इसलिए एकादशी के दिन व्यक्ति को सौम्य रहना चाहिए। वैसे भी गुस्से को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु बताया है।

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