आयुर्वेद महान ग्रंथ में वर्णित है वायरसों के खात्मे के हल

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चंडीगढ़/ कुरुक्षेत्र : 7 मार्च: आरके विक्रमा शर्मा/ राकेश शर्मा बावैन :—-भारत के प्राचीन चिरपरिचित विरोधी मुल्क चीन में महामारी का रूप ले चुका क्रोना वायरस सृष्टि के लिए घातक खतरा पैदा हो चुका है। सोशल मीडिया पर फैलती खबरों के मुताबिक चीन ने अपने ही संक्रमित 80 हजार से ज्यादा चीनियों को मौत के घाट उतारने का सरकारी फरमान जारी किया है। करोड़ों पशु पंछी अन्य  वन्य और पालतू जीव जंतु आदि ज्वलनशील द्रव्य डालकर जला दिए गए हैं या जीते जी जमीन में दबा दिए गए हैं।

 

चीन के अखबारों से मिली जानकारी मुताबिक उक्त क्रोना वायरस के संक्रमण को रोकने की अचूक औषधि खोज ली गई है लेकिन वायरस दुनिया के तकरीबन 48 मुल्कों में जैसे तैसे दस्तक दे चुका है जिनमें भारत भी अग्रणी पंक्ति में शुमार हो चुका है।

भारत के साधु संतों की माने तो इन तमाम संक्रमण भरी बीमारियों का अचूक इलाज हिंदू धर्म ग्रंथों व उपनिषदों में शास्त्रों में उल्लेखित है। आयुर्वेद में करोना वायरस से भी घातक बीमारियों का बखूबी सफल और सरल सहज सुलभ चिकित्सा उपलब्ध है।

कर्मभूमि कुरुक्षेत्र में स्थित श्री गीता धाम की मौजूदा संचालिका माता सुरदर्शन जी महाराज जोकि देश विदेश में भागवत गीता के अनन्या प्रसारक प्रचारक गीता उपदेशक ब्रह्मलीन गुरु श्रेष्ठ 1008 श्री गीतानंद जी भिक्षु महाराज की अग्रणी शिष्या हैं ने बताया कि जैसे-जैसे हम अपनी जड़ों से दूर हो रहे हैं वैसे वैसे असाध्य रोग मानवीय समाज को त्रस्त कर रहे हैं क्रोना वायरस से पहले भी पिछले कुछ दशकों में अनेकों वायरस फैल चुके हैं। लेकिन भारत के आयुष विज्ञान में उल्लेखित चिकित्सा पद्धतियों के सहारे भारत में एक सुरक्षा कवच बना हुआ है इस बार भी साधु समाज की मानें तो गिलोय तुलसी हल्दी मेथी काली मिर्च नीम लहसुन प्याज अदरक कर्पूर गरम पानी सरसों का तेल चूल्हे की उपलों की राख यह अनेकों अचूक रामबाण औषधियों से करोना वायरस से बचाव यथावत शत-प्रतिशत संभव है। क्रोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित बुजुर्ग और छोटे-छोटे बच्चे हो रहे हैं क्योंकि इनका इम्यून सिस्टम रोगों से लड़ने में क्षीण रहता है जिस किसी का भी इम्यून सिस्टम मजबूत होगा उस पर ऐसे वायरस कोई प्रभाव नहीं डाल सकते।। गिलोय की पत्तियां डंडियों को कूटकर तुलसी के पत्ते काली मिर्च और हल्दी पाउडर का काढ़ा उबालकर ठंडा करके पीने पर इम्यून सिस्टम की पावर बढ़ती है जो कारोना वायरस से सरलता से लड़ सकती है। और संक्रमण फैलाने वाले जीवाणु विषाणु रोगाणु आदि को नष्ट करने में समर्थ है।।

माता सुदर्शन जी महाराज भिक्षु ने यह भी कहा है कि प्राणी समाज और पर्यावरण को बचाए रखने के लिए आम की लकड़ी का घर में धुआं करें। आम की लक्कड़ की आग पर हवन सामग्री खास करके देसी गाय का देसी घी डालकर धुआंआ करें। इससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा और प्राणी समाज को भी स्वस्थ जीवन जीने का वातावरण मिलेगा जो लोग हिंदू धर्म से यह हवन यज्ञ से असहमत हैं वह इसे वैज्ञानिक प्रक्रिया मानकर समझ कर ही आम की लकड़ियों का हवन करें और जलती हुई आम की लकड़ियों पर बाजार से मिलने वाले शुद्ध हवन सामग्री लाकर डालें और इससे जो धुआंआ उत्पन्न होगा वह वातावरण को प्रदूषण मुक्त करेगा संक्रमण से बचाएगा और जब वातावरण स्वस्थ होगा तो मानवीय जीवन जीने की परिस्थितियां भी स्वस्थ और सफल होंगे।।

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