चंडीगढ़ :4 जुलाई : अल्फा न्यूज इंडिया डेस्क :–अपनी तेजस्वी वाणी के जरिए पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का डंका बजाने वाले स्वामी विवेकानंद ने केवल वैज्ञानिक सोच तथा तर्क पर बल ही नहीं दिया, बल्कि धर्म को लोगों की सेवा और सामाजिक परिवर्तन से जोड़ दिया. लेकिन, स्वामी विवेकानंद का मात्र 39 वर्ष की उम्र में 4 जुलाई 1902 को उनका निधन हो गया था. जानते हैं उनके प्रेरक विचार –
● उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये.
● खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप हैं.
● तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना हैं। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही हैं.
● सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा.
● ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं. वो हमही हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार हैं.
● दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो.
● शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं. विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं.
● एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ.
● हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं.शब्द गौण हैं. विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं.
● जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है – शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक उसे जहर की तरह त्याग दो.
● हम जो बोते हैं वो काटते हैं. हम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हैं.
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