- मानवता व सामाजिक सेवा करने वाले कभी पारितोषिक व प्रशंसा के गुलाम नहीं होते हैं।
और कडवी हकीकत तो ये है कि अपना तो उसे जानो जो लाखों बुराईयों के बाद भी आपका दामन किसी सूरते हाल में भी नहीं छोडे। उक्त लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत के लिए कार्यकर्ताओं ने व नेताओं ने अपनी सारी ऊर्जा व ताकत झोंक कर काबिल ए तारीफ जीत अर्जित की। अमेठी से कांग्रेस अध्यक्ष व सोनिया गांधी के लखते जिगर राहुल गांधी के विरोध में भाजपा की नेत्री व छोटे पर्दे की बड़ी बहू स्मृति ईरानी ने बड़े अंतराल से जीत प्राप्त की। लेकिन स्मृति के लिए वोट मांगने वालों में अग्रण पंपंक्ति में शुमार भारतीय जनता पार्टी के अडिग कार्यकर्ता सुरेंद्र को असमाजिक तत्वों ने गोली मारकर हत्या कर दी।
भाजपा की शीर्ष नेता स्मृति ईरानी अविलम्ब अमेठी लौटीं। सुरेंद्र के शोकाकुल परिजनों के सर पर हाथ धरे व बोली यह मेरा परिवार है। अब से इन सब की पारिवारिक जिम्मेदारी व जवाबदेही मेरी (स्मृति ईरानी) है।
भाजपा की पूर्व सरकार में केंद्रीय मंत्री रहीं स्मृति ने भारतीय जनता पार्टी के अथक सिपाही सुरेंद्र की अर्थी को कंधा भी दिया। हत्यारों को किसी भी सूरत ए हाल में नहीं बख्शने की बात भी दोहराई।
गढ़ आया पर सिंह गया की ऐतिहासिक घटना एक बार अब यहां अमेठी में मूर्त हो उठी।। समूचे देश में स्मृति ईरानी के साहसिक व अपनेपन के सच्चे सुचचे अंदाज की वाह वाह हो रही है।।