पानी का सिमरन करने से नहीं बल्कि पानी पीने से सन्तुष्टि होती है :- सरिता जी

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चण्डीगढ़ 20 मई: प्यास लगने पर इन्सान को पानी की आवश्यकता होती है उस समय उसे पानी का सिमरन या उसकी महिमागाने वाले नहीं बल्कि ऐसे व्यक्ति की तलाश होती है जिसके पास वास्तव में पानी हो, ये उद्गार आज यहां बम्बई से आए केन्द्रीयप्रचारिका श्रीमति सरिता आहूजा जी ने यहां सैक्टर 30 में स्थित सन्त निरंकारी सत्संग भवन में हुए विशाल सत्संग समारोह मेंसैकड़ों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए

उन्होने आगे कहा कि ऐसे समय में उसे पानी के नाम से भी कोई लेना देना नहीं होता कि पानी देने वाला पानी को वाटर कह रहा हैजल कह रहा है नीर कह रहा है या किसी और नाम से पुकार रहा है क्योंकि उस समय उसे यह एहसास हो चुका होता है कि पानी कासिमरन करने मात्र से नहीं बल्कि पानी पीने से ही उसकी सन्तुष्टि हो सकती है, ठीक इसी प्रकार इंसान के मन को परमात्मा कीजानकारी किए बिना इसकी महिमा गाने या सिमरन करने मात्र से नहीं बल्कि परमात्मा की प्राप्ति होने पर ही इस मन को शान्तिऔर ठहराव मिलता है।

श्रीमती आहूजा ने धार्मिक ग्रन्थों का हवाला देते हुए कहा कि चाहे किसी भी ग्रन्थ को पढ़ लें सभी में एक बात मुख्ययही लिखी है कि वर्तमान सत्गुरू की शरण में जाकर ही इन्सान को परमात्मा की जानकारी हो सकती है और यही जानकारी आजसत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज द्वारा दुनियां के कोने कोने में जाकर प्रदान की जा रही है और भटकी हुई आत्माओं को परमात्मा सेजोड़ा जा रहा है ।

इस अवसर पर स्थानीय संयोजक श्री नवनीत पाठक ने श्रीमति आहूजा जी के यहां पधारने पर उनका स्वागत कियातथा आई हुई संगतों का धन्यवाद किया ।

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