चंडीगढ़ : 14 मई : आरके शर्मा विक्रमा पीजीडीपीआर : देश 21 वीं सदी का शिखर राष्ट्र बनने की राह पर द्रुत गति से अग्रसर है। समूचा विश्व टकटकी बांधे अब भारत की ओर मुंह बाए ताक रहा है। लेकिन देश के अंदर पसरी अपाहिज व्यवस्था कानून व्यवस्था की खोखली पोल खोल रही है। असुरक्षित जीवन जीने के लिए हम सब मजबूर हैं। आज जिस विषय की ओर आप सब का बेपरवाह ध्यान जागृत किया जा रहा है उस जिक्र से सबने जानबूझ कर आंखें मूंद लीं। तभी तो छोटे बड़े सब प्रभावित जनों व परिवारों की तादाद में वृध्दि जारी है। पिछले पांच सालों की बात कही जाये ते देशभर से बडी़ तादाद में बच्चे गुम हुए हैं। इन बच्चों के लिए रतीभर चिंतन भी राहत भरे परिणाम ला सकता है।।
व्हाटस अप सोशल मीडिया के अनुसार गुमशुदा बच्चे छोटी आयु से लेकर बड़ी उम्र तक के बुजुर्गों के आंकड़ों की बानगी असुरक्षित की भावना को बल देती है। मीडिया जगत भी अपनी समग्र भूमिका निभाए तो बच्चे बूढ़े हर आयु वर्ग सजगता से इन दरिंदों को नकेल कसने में अहम रोल अदा
कर सकते हैं।।