बीबी कमाती है तो गुजारा भत्ता की हकदार नहीं — कोर्ट ने दिया अहम आदेश

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चंडीगढ़/सूरत (गुजरात) 13/12/25 अल्फा न्यूज़ इंडिया प्रस्तुति––: सूरत फैमिली कोर्ट से मेंटेनेंस कानून को लेकर एक चौंकाने वाला और अहम फैसला सामने आया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि पत्नी आर्थिक रूप से सक्षम है और उसकी बुनियादी जरूरतें पूरी हो रही हैं, तो वह पति से गुजारा भत्ता (मेंटेनेंस) पाने की हकदार नहीं है।

कोर्ट ने इस मामले में पत्नी के डबल स्टैंडर्ड पर कड़ा रुख अपनाते हुए मेंटेनेंस से जुड़ी सभी अर्जियां खारिज कर दीं। हैरानी की बात यह रही कि लंबे समय से कानूनी लड़ाई के बावजूद पति-पत्नी आज भी एक ही छत के नीचे साथ रह रहे हैं। 20 हजार कमाई, 50 हजार की मांग,,,,,,,मामले के अनुसार पत्नी पास के एक स्कूल में टीचर है और करीब 20,000 रुपये महीना वेतन पाती है। इसके बावजूद उसने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर पति से 50,000 रुपये प्रति माह मेंटेनेंस की मांग की। पत्नी ने कोर्ट में दावा किया कि पति की मासिक आय 80,000 रुपये है, जबकि जांच में सामने आया कि पति की वास्तविक आय केवल 35,000 रुपये प्रति माह है। यानी पत्नी पति की आय से भी अधिक रकम की मांग कर रही थी। खुद को बताया हाउसवाइफ,,,,,,,पति की ओर से अधिवक्ता शिवानी चाहवाला ने दलील दी कि पत्नी न केवल शिक्षित है बल्कि कमाती भी है, उसके कोई बच्चे नहीं हैं और वह पति पर निर्भर नहीं है। कोर्ट ने इस तथ्य को गंभीरता से लिया कि पत्नी ने अर्जी में खुद को ‘हाउसवाइफ’ बताया, जबकि बैंक स्टेटमेंट से उसकी नियमित आय साबित हो गई। “भूखे मरने की स्थिति नहीं”,,,,,,,,,,,कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि दंपती एक ही घर में रह रहे हैं और घर के सभी बुनियादी खर्च पति उठा रहा है। पत्नी पढ़ी-लिखी है, नौकरी करती है और ऐसी कोई स्थिति नहीं है कि वह भूख से मर जाए। ऐसे में पति से मेंटेनेंस मांगना कानून का दुरुपयोग है। सभी मांगें खारिज,,,,,,,,,,फैमिली कोर्ट ने 50,000 रुपये के गुजारा भत्ते और केस लड़ने के लिए मांगे गए कानूनी खर्च—दोनों मांगों को पूरी तरह खारिज कर दिया। कोर्ट का यह फैसला उन मामलों में नजीर माना जा रहा है, जहां मेंटेनेंस कानून का गलत इस्तेमाल किया जाता है.साभार।।।।

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