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चण्डीगढ़: 26 अगस्त 25 आर विक्रमा शर्मा अनिल शारदा पंकज राजपूत प्रस्तुति—– आज स्थानीय नगर निगम की मीटिंग में सीनियर डिप्टी मेयर जसबीर सिंह बंटी कांग्रेसी पार्षद ने मृतकों की लावारिस अस्थियों के विसर्जन का मुद्दा उठाया। जसबीर सिंह बंटी ने बताया कि मार्च 2024 की एफ एंड सी सी मीटिंग में एजेंडा पास किया गया थाl जिसमें लावारिस बॉडीज का संस्कार नगर निगम के जूनियर इंजिनियर को नोडल ऑफिसर बनाया गया. जो सभी बॉडी का संस्कार करेगा। बंटी ने बताया कि मगर न ही नगर निगम ने डेढ़ साल में किसी का संस्कार किया और ना ही अस्थियां विसर्जन की गई। जबकि पहले ऑल इंडिया सेवा समिति की तरफ से संस्कार किया जाता था. जोकि मात्र ₹830 रुपए दिए जाते थे। जबकि ₹400 एंबुलेंस के देते थे, ₹400 कपड़े के और ₹30 संस्कार के दिए जाते थे। मगर मार्च 2024 में एफ एंड सी सी 3.50 लाख पास करके को नोडल ऑफिसर बनाकर दे दी थी। जो पहले समिति थी उसने बीते 6 साल में 588 देहों का संस्कार किया था। जिसका खर्चा 4 लाख 80 हजार के करीब था. और वही काम नगर निगम 6 साल में करती है. तो उसका खर्चा 21 लाख था. जबकि एजेंडा पास होने के बावजूद डेढ़ साल में कोई भी अस्थियों का विसर्जन नहीं हुआ. निगम में तो साथ के साथ अस्थियां का विसर्जन किया गया यह एक करप्शन का मसला दिख रहा है. गोलमोल तथ्यों में खूब झोल है. और आस्था से खिलवाड़ अलग से हो रहा है। जो अस्थियां डेढ़ साल में शमशान घाट में पड़ी हैं। इसके बाद मेयर ने एक कमेटी बनाकर मंगलवार को कमिश्नर साहब के साथ मीटिंग रख दी है. और बैठक में जो पहले समिति थी. उसी को दोबारा से काम देने के लिए एजेंडा पास किया गया। इसको लेकर दूसरे पार्षदों ने भी बंटी का साथ दिया और मामले की गंभीरता को देखते हुए ऑफिसर्स पर बनती कार्रवाई करने को कहा गया। पर खबर लिखे जाने तक न तो सीनियर डिप्टी मेयर जसवीर सिंह बंटी ने पुलिस में अभी कोई शिकायत दर्ज नहीं करायी है. नाहीं केस विजिलेंस डिपार्टमेंट या स्थानीय सी बी आई के संज्ञान में लाया गया है. जिम्मेदार और जवाबदेह अधिकारी और कर्मचारी सहित घूसखोर सब विजिलेंस डिपार्टमेंट और सीबीआई की मुस्तैदी को ठेंगा दिखा चिढ़ा रहे हैं. स्वतंत्र जांच की अल्फा न्यूज इंडिया की प्रबल मांग है. बेहतर होगा सीबीआई जांच का ज़िम्मा सम्भाले. क्योंकि उनके पास सोर्स और मेन पावर की कमी तक भी नहीं है. मौजूदा मेयर से पहले सत्तासीन रहे मेयर ने क्या कार्यवाहियों को अंजाम दिया सब कुछ जांच की जाए. तमाम जिम्मेदारी नए कमेटी या संगठन के सुपुर्द की जाए. इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिये और धार्मिक संगठनों की बनती भूमिकाओं को भी जांच के दायरे में लाने की जरूरतों को मद्देनजर रखा जाए. यहां तक की दूसरे सभी जिम्मेदार और जवाबदेह पार्षदों और अधिकारियों की भी जांच हो. कैसे इतने लम्बे समय से सब बेहद संवेदनशील और मानवीय मूल्यों की ओर से मुँह फेरे हुए थे. अगर ये सरकारी राजस्व की लूट है तो हरेक शामिल हिस्सों की जांच की जाए.

