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खोखली कानून व्यवस्था समझदार को इशारा है करारा
चंडीगढ़ 12 जुलाई 25 आरके विक्रमा शर्मा अनिल शारदा — लोकतंत्र भारत का संवैधानिक ढांचा दुनिया का सबसे बेहतरीन में से एक माना जाता है लेकिन इसकी लचरता बताती है कि कैसे खूंखार खूनी उपद्रवी आतंकवादी और बलात्कारी देशद्रोही पतली गली से बच निकलते हैं। यह बहुत बड़ा यक्ष प्रश्न है कि क्या वास्तव में भारत का संविधान कानून व्यवस्था में उत्तम है? अगर है! तो भारत में अपराधों का ग्राफ कितना इजाफा क्यों बढ़ता जा रहा है? कहीं ना कहीं नकारात्मकता यानी भ्रष्टाचार रिश्वतखोरी पक्षपात धन, पद लाभ लोलूपता इसका मूल कारण है। सोचिए विचारो कि देश के लिए हम किस तरह के सुझाव एकमत होकर दे सकते हैं। जिनकी आज की पीढ़ी को आज के परिवेश में महत्वपूर्ण अनिवार्यता है।। आज के कानून के मुताबिक हम अपनी नैतिक और कानूनी जिम्मेदारियां और जवाब दे ही दूसरों पर ठोक दे रहे हैं हर और से पुलिस को कसूर बात ठहराया जाता है पुलिस अपराधी को जान हथेली पर रखकर तलाश करती है, पकड़ती है। और कानून के सामने कटघरे में खड़ा करती है। और वहां कानून उसे राहत देता है, स्टे देता है। जमानत दे देता है। बाकी समझदार तो पूरा देश है, अलग बात है देश प्रेम देश भक्ति ही नहीं है।


