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चंडीगढ़ 27 जून 25 आर विक्रमा शर्मा अनिल शारदा रक्षत शर्मा–+++ महाराजा रणजीत सिंह का नाम स्वर्ण अक्षरों में इसलिए दर्ज है कि वह गुरु का सच्चा सुच्चा और समूचा सिख थे। एक न्याय प्रिय राजा की तरह उन्होंने सबको एक आंख से देखते हुए सबको एक साथ लेकर चलते हुए सबके साथ एक जैसा न्याय व्यवस्था स्थापित करते हुए 1839 में आज ही के दिन गुरु के चरणों में जा विराजे थे। आपका जन्म 1780 में गुजरांवाला (पाकिस्तान) में हुआ था।

कृतज्ञ राष्ट्र आज महाराजा रणजीत सिंह को उनकी पुण्यतिथि पर स्मरण करते हुए शेर-ए-पंजाब जिसने एक सराहनीय प्रेरणादाई जीवन जीते हुए विविध साम्राज्य को एकजुट सुरक्षित शासन प्रशासन देने के सदा उनकी देनदारी के लिए नतमस्तक रहेगा। महाराजा रणजीत सिंह की दिलेरी शूरवीर योद्धा की रणनीतियों और दानवीरता न्याय व्यवस्था धर्म हर मज़हब को समान अधिकार सम्मान देने के किस्से आज भी बखाणे जाते हैं।।

