![]()
चंडीगढ़ 9 जून 25 आर विक्रम शर्मा अनिल शारदा रक्षत शर्मा प्रस्तुति—— आज आधुनिक दौर सुविधाओं ऐश्वर्या का आरामदायक जीवन जीने का समय है। यह आराम ही जीवन को रोगी बना रहा है शरीर से पसीना बाहर आना बंद हो चुका है। व्यक्ति का आत्मिक और शारीरिक सहित बौद्धिक कुंठित हो चुका है। ऐसे में जीवन के छोटे-छोटे आदर्शों को मानकर उन पर चल कर ही असली आरामदायक जीवन जिया जा सकता है ।

1. जल्दी सोना और जल्दी उठना दवा है।
2. ऊँ का जाप दवा है।
3. योग प्राणायाम ध्यान और व्यायाम दवा है।
4. सुबह-शाम टहलना भी दवा है।
5. उपवास सभी बीमारियों की दवा है।
6. सूर्य-प्रकाश भी दवा है।
7. मटके का पानी पीना भी दवा है।
8. ताली बजाना भी दवा है।
9. भोजन को खूब चबाना भी दवा है।
10. भोजन की तरह चबाकर पानी पीना भी दवा है।
11. भोजन ग्रहण करने के पश्चात वज्रासन में बैठना दवा है।
12. खुश रहने का निर्णय भी दवा है।
13. कभी-कभी मौन भी दवा है।
14. हंसी-मजाक दवा है।
15. संतोष भी दवा है।
16. मन की शांति व स्वस्थ शरीर भी दवा है।
17. ईमानदारी व सकारात्मकता दवा है।
18. निस्वार्थ प्रेम-भावना भी दवा है।
19. सबका भला ( परोपकार ) करना भी दवा है।
20. ऐसा कुछ करना जिससे किसी की दुआ मिले, वह दवा है।
21. सबके साथ मिलजुल कर रहना दवा है।
22. परिवार के साथ खाना-पीना और घुलना-मिलना भी दवा है।
23. आपका हर सच्चा और अच्छा मित्र भी बिना पैसे के पूरा मेडिकल स्टोर ही है।
24. मस्त रहें, व्यस्त रहें, स्वस्थ रहें और प्रसन्न चित्त रहें, यह भी दवा है।
25. हर नए दिन का भरपूर आनंद लेना भी दवा है।
26. और अन्त में… किसी को उपहार के रूप में यह संदेश भेजकर श्रेष्ठ कार्य करने का सुख भी दवा है।
🪷 प्रकृति की “महानता” को समझना व उसके प्रति कृतज्ञता का भाव भी दवा है।
ये सभी औषधियां बिल्कुल निःशुल्क आपके पास है, आपको उपलब्ध हैं।🌹🌹

