
चंडीगढ़/सोलन-26.03.2025- आरके विक्रमा शर्मा धर्मपाल ठाकुर : मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू के विधानसभा के भीतर जाली पत्रकारों के संदर्भ में की गई टिप्पणी के बाद हिमाचल ही नहीं सोलन के पत्रकार संगठनों में भी बेचैनी बढ़ गई है। सोलन में पत्रकारों के तीन संगठन हैं और तीनों में ऐसे पत्रकारों की कमी नहीं है जो अपने आपको स्वयं ही पत्रकार घोषित किए हुए हैं और ऐसा हिमाचल के कई और जिलों में भी है। इस पर सबसे बड़ी शिकायत यह है कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के विंग आरएनआई का काम स्वयं गैर कानूनी तरीके से करना शुरू कर दिया है।
अब मुख्यमंत्री ने सदन के भीतर यह बात उठाई है तो बात दूर तक जाएगी। इससे सोलन के तीनों पत्रकार संगठनों के कुछ पत्रकारों की चिंता बढ़ गई है कि अब कहीं उनकी पत्रकारिता की दुकान बंद न हो जाए। मुख्यमंत्री ने अपने वक्तव्य में सोलन जिला के बद्दी का जिक्र करते हुए कहा है कि वहां फिरौती पत्रकारिता ज्यादा ही होती है। अब जाहिर है कि मुख्यमंत्री ने जब ऐसा कहा है तो उनके पास इसकी पुख्ता सूचना होगी। लेकिन मुख्यमंत्री के पास शायद यह सूचना नहीं होगी कि जिला लोकसंपर्क अधिकारी ही नकली पत्रकार पैदा करने का गिरोह चला रहे हैं। विभाग के अधिकारी उन्हीं पत्रकारों को पत्रकार वार्ता के लिए बुलाते हैं जिनका पुरजोर विरोध मुख्यमंत्री सदन के भीतर कर रहे थे।
मजेदार बात तो यह है कि ऐसे कई पत्रकारों को तो सूचना एवं जनसंपर्क विभाग मान्यता प्राप्त पत्रकार भी बना चुका है। स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो पत्रकार वार्ता में वही लोग बुलाए जाते हैं जिनके संस्थान पत्रकारिता के लिए निर्धारित अथॉरिटी से मान्यता प्राप्त नहीं हैं। ऐसे में असली पत्रकारों ने तो पत्रकार वार्ता में जाना भी छोड़ दिया है। क्योंकि वहां न तो जनहित से जुड़े प्रश्न होते हैं और न ही उत्तर।
पत्रकारों पर प्रश्न खड़ा करने से पहले मुख्यमंत्री को उन लोक संपर्क अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए जो प्रदेश में नकली पत्रकारिता के जनक बने हुए हैं। जाहिर है कि अब जब मामला मुख्यमंत्री की तरफ से उठा है तो इसका कोई न कोई समाधान जरूर निकलेगा। जो लोग सही मायने में पत्रकारिता करना चाहते हैं वह सही दिशा को पकड़ेंगे और जो फिरौतीबाज पत्रकार पनप रहे हैं उन्हें सरकार काबू करेगी। इसमें ऐसी कार्यवाही की जरूरत है जैसी नकली एसपी, एसडीएम बताने वाले लोगों पर होती है।