चंडीगढ़ 22.03.25 आरके विक्रमा शर्मा हरीश शर्मा अश्विनी शर्मा अनिल शारदा पंकज राजपूत प्रस्तुति—-90 के दशक की मशहूर अदाकारा आयशा जुल्का, जो अपनी खूबसूरती और अभिनय के लिए जानी जाती हैं, अब अपनी दयालुता और समाजसेवा के लिए सुर्खियों में हैं। उन्होंने दो गांवों को गोद लिया है और वहां के 160 बच्चों की परवरिश और पढ़ाई की पूरी ज़िम्मेदारी उठा रही हैं। यह कदम न केवल उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि समाज के प्रति उनकी गहरी जिम्मेदारी को भी उजागर करता है।

अक्सर लोगों की धारणा होती है कि मातृत्व का अनुभव केवल अपने जैविक बच्चों के जरिए ही संभव है, लेकिन आयशा जुल्का ने इस सोच को तोड़ते हुए साबित किया है कि असली ममता सीमाओं में बंधी नहीं होती। शादी के 22 साल बाद भी उनके अपने संतान न होने के बावजूद, उन्होंने अनगिनत बच्चों को शिक्षा और सुरक्षित भविष्य देने का संकल्प लिया है। यह निर्णय दर्शाता है कि मातृत्व केवल जन्म देने तक सीमित नहीं, बल्कि किसी के जीवन को संवारने में भी निहित होता है।
उनका यह कार्य न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। शिक्षा और परवरिश किसी भी बच्चे के उज्ज्वल भविष्य की नींव होती हैं, और आयशा ने इस पहल के जरिए कई जिंदगियों को संवारने का बीड़ा उठाया है।
उनका यह योगदान यह संदेश देता है कि यदि हमारे पास संसाधन और क्षमता है, तो हमें जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। आयशा जुल्का की यह पहल न केवल उन 160 बच्चों के लिए एक सुनहरा अवसर है, बल्कि समाज के अन्य सक्षम लोगों को भी प्रेरित करने वाली है।fb से साभार.