पानी का टीडीएस 5 हजार के करीब जैसेलमेर बोरवेल के पानी का वैज्ञानिकों की बढ़ी उत्सुकता

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चंडीगढ़ 09.01.2025- आरके विक्रमा शर्मा अनिल शारदा चंद्रभानसोलंकी —-जैसलमेर में बोरवेल से निकले पानी का इतिहास 60 लाख साल पुराना होने का दावा किया गया है। यह पानी समुद्री जल के समान है, लेकिन सरस्वती नदी का नहीं है। बोरवेल से निकली मिट्टी समुद्री मिट्टी के समान है और पानी का टीडीएस 5 हजार के करीब है।यह खोज जैसलमेर के इतिहास और भूगोल के बारे में रोचक जानकारी प्रदान करती है। समुद्री पानी के टीडीएस से कम होने के बावजूद, इस पानी में कई खनिज लवण मिले हैं। सरस्वती नदी का रूट तनोट के आसपास के क्षेत्र में है, जहां जमीन से कुछ नीचे ही पानी बाहर आ रहा है और वह मीठा भी है।यह खोज जैसलमेर के भूगर्भिक इतिहास को समझने में मदद कर सकती है। यह भी पता चलता है कि जैसलमेर में समुद्री जल की उपस्थिति थी, जो अब विलुप्त हो गई है। यह जानकारी विज्ञान और इतिहास के शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।

धरती के नीचे अनेक खनिज और गैस का भंडार है।जहाँ ये घटना घटित हुई है वहाँ का तापमान ज्यादा रहता है जिसके करण धरती के नीचे दबे हुए गैस का प्रेशर ज्यादा हो गया होगा ।जैसे ही बोरवेल का ड्रील बिट धरती के अंदर दबी हाई प्रेशर गैस के ऊपरी सतह को छेद किया गैस को निकलने का रास्ता मिल गया और वह अपने साथ पानी को लेते हुए बाहर निकलने लगा और जैसे ही गैस ख़त्म हुआ पानी निकलना बंद हो गया।उदाहरण के तौर पर एक गुबारा जो पानी से भरा हुआ हो और उसे फुलाया जाता है और फिर उसको सुई के नोक से छेद किया जाता है तो उसमे रखा पानी हवा के साथ बहुत ही हाई प्रेशर के साथ बाहर निकलने लगता है ठीक वैसा ही वहाँ हुआ है।

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