राज्य के तीन मेडिकल कॉलेज रिम्स रांची,पीएमसीएच धनबाद और एमजीएम जमशेदपुर में बारिश के दौरान छतों से पानी रिसने और वार्ड में पानी घुसने से मरीजों को हो रही परेशानी पर झारखंड हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह ने रांची, धनबाद और जमशेदपुर के डीसी से इस पर रिपोर्ट मांगी है।
अदालत ने कहा है कि मेडिकल कॉलेजों के वार्ड में यदि मरीजों को छाता खोलकर रहना पड़े, बरसात का पानी प्रवेश करे और जलजमाव हो तो यह राज्य सरकार के लिए अफसोसजनक है। सरकार के प्रमुख अस्पतालों की ऐसी स्थिति एक शोचनीय प्रश्न है। अदालत ने इस मामले में मुख्य सचिव,स्वास्थ्य सचिव, भवन निर्माण सचिव, रिम्स के निदेशक, पीएमसीएच और एमजीएम के अधीक्षक और तीनों जिलों के उपायुक्तों को प्रतिवादी बनाया है।
अखबारों में प्रकाशित रिपोर्ट का हवाला देते हुए अदालत ने कहा है कि पीएमसीएच धनबाद में अस्पताल के अंदर लोग छाता खोलकर रह रहे हैं। बारिश का पानी छतों से रिस रहा है, इससे ऑपरेशन के बाद मरीजों में संक्रमण होने की आशंका है। मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा है। पीएमसीएच में 30 और मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट करने पर विचार किया जा रहा है।
वहीं रिम्स रांची में भी लगातार बारिश से कई स्थानों और वार्ड में जल जमाव हो रहा है। इससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। एमजीएम जमशेदपुर में भी विभिन्न वार्डों में जल जमाव हो रहा है। यह स्थिति अस्पतालों के लिए बेहतर नहीं है।
अदालत ने रांची, धनबाद और जमशेदपुर के उपायुक्त से 31 अगस्त तक विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। उन्हें बताने को कहा गया है कि बारिश के पानी से रिसाव, जल जमाव रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।