ठहर तो जा ए जिंदगी तुझे पढ़ तो लूं,,,

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चंडीगढ़ 14 दिसंबर आरके विक्रमा शर्मा अनिल शारदा —जिंदगी भर इंसान कुछ ना कुछ पाने की तलब रखता है। पर जब वह मिल जाता है तो वह यह नहीं जानता कि इसका करना क्या है? उसे बखूबी मालूम है जाना कुछ भी साथ नहीं है! फिर भी दुनिया भर को अपनी झोली में समेट लेना चाहता है! इसी का नाम आध्यात्मिक स्तर पर मोह लालच आडंबर पाखंड यह सब कुछ है। और जिंदगी छोटी-छोटी अर्थ लेकर बैठी है। सर्दी की ऋतु में किसी को एक कप गर्मागर्म चाय पिलाकर देखिए। मन को कितना सुकून मिलेगा। और कोई ना कोई बिगड़ा काम खुद व खुद बन जाएगा। यही जिंदगी है, यही इसका मकसद है। और इसी में कामयाब होना है। यही साथ जाना है, और कुछ नहीं।।

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