चंडीगढ़ 26 सितंबर आरके विक्रमा शर्मा अनिल शारदा प्रस्तुति— भारतवासियों का अभिन्न गौरव बिना हाथों के तीर चलाने वाली अद्वितीय धनुर्धर शीतल देवी ने हाल ही में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित होकर देश का गौरव बढ़ाया है। 🌟 उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके अद्वितीय कौशल का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि किसी भी शारीरिक चुनौती को सफलता की राह में बाधा नहीं बनने देना चाहिए। 🏹शीतल देवी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, लेकिन उनकी स्थिति किसी से कम नहीं रही। हाथों के बिना जन्म लेने के बावजूद, उन्होंने अपने अदम्य साहस और इच्छाशक्ति के बल पर तीरंदाजी जैसे कठिन खेल में खुद को सिद्ध किया। उनका सफर आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने इस कठिनाई को अपनी ताकत में बदलते हुए तीरंदाजी में महारत हासिल की।शीतल ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। उनकी इस विशेषता के कारण, वह दुनिया भर में प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं। अर्जुन अवार्ड जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद, उन्होंने यह साबित कर दिया कि सच्ची मेहनत और समर्पण के साथ कोई भी चुनौती असंभव नहीं होती।शीतल देवी का जीवन संघर्ष और सफलता की एक ऐसी कहानी है, जो हम सभी को प्रेरित करती है कि अगर हमारे भीतर आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प हो, तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। 🌠