पे कमीशन की रिर्पोट को सार्वजनिक न करना संशय के दायरे में : महासंघ

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चंडीगढ़/हरियाणा /दिल्ली ; आरके विक्रमा शर्मा/राकेश शर्मा /सुमन बैडवाल ;– हरियाणा  प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा कल प्रदेश के कर्मचारी वर्ग के लिए सातवें पे-कमीशन बारे जो रिर्पोट सरकार को पेश की गई है उस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए हरियाणा कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय महासचिव वीरेन्द्र सिंह धनखड़ ने कहा कि यह लगातार दूसरा अवसर है जब इससे पूर्व जी. माधवन आयोग की रिर्पोट अब मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा राज्य सरकार को पे कमीशन की रिर्पोट को सौंपते वक्त सार्वजनिक नहीं किया गया। 
प्रांतीय महासचिव ने राज्य सरकार से पूछना चाहा कि मुख्य तौर पर सभी विभागों, बोर्डों, निगमों, शैक्षणिक संस्थाओं की जो पिछली विसंगतियां थी क्या उनको दूर कर दिया गया ? प्रदेश के वित्त मंत्री द्वारा दिये गये ब्यानों से इस सन्दर्भ में कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पाया, जिससे कर्मचारी वर्ग में निराशा की भावना व्याप्त है। राज्य सरकार ने अपने वायदे के अनुसार न तो पंजाब के समान वेतनमान के बारे में और न ही केंद्र के समान वेतनमान के बारे में कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की। जबकि महासंघ द्वारा 3 अक्तूबर को कमेटी को सौंपे गये अपने प्रतिवेदन में मुख्य रूप से 18 बिन्दुओं पर चर्चा की गई थी। क्या सरकार नया पे-कमीशन लागू करते वक्त सभी कच्चे कर्मचारियों को पक्का करना, राज्य में रिक्त पड़े लाखों पदों पर स्थाई भर्ती करना तथा सरकारी विभागों के साथ बोर्डों, निगमों में भी समान रूप से लागू करना का सरकार प्रावधान करेगी ? उन्होंने सरकार से पूछना चाहा कि उनकी मांग के अनुसार सातवां पे-कमीशन लागू करते वक्त राज्य सरकार इस बात का भी ध्यान रखेगी कि हमारे बराबर में लगते हुए पंजाब प्रांत के मंत्री, विधायकों से हरियाणा सरकार के मंत्री व सभी विधायक कहीं ज्यादा वेतनमान व भत्ते ले रहे हैं। साथ में सेवानिवृत्त कर्मियों के बारे में भी सरकार की तरफ से एक शब्द भी नहीं बोला गया। 
साथ में सरकार की तरफ से यह कहा जाना कि जिन राज्यों में अलग से वेतनमान गठित है वहां काफी कम वेतन मिलता है। तो क्या फिर हरियाणा के कर्मचारियों को जिस समय छठा वेतन आयोग मिला तो हरियाणा का पे कमीशन तो अलग नहीं था। इस प्रकार छठे वेतन आयोग की विसंगतियां को दूर न करके सरकार जो रिर्पोट को अन्दरखाते दबाये हुए है। इससे प्रदेश के कर्मचारी वर्ग में ऊहापोह की स्थिति है। यदि राज्य सरकार ने रिर्पोट को लागू करते वक्त हरियाणा कर्मचारी महासंघ द्वारा सौंपे गये 18 मुख्य बिन्दुओं पर ध्यान नहीं दिया तो राज्य सरकार के खिलाफ एक निर्णायक आंदोलन का रास्ता खुला होगा।

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