पठानोट ; 9 नवम्बर ; कंवल रन्धावा ;——धान की फसल की कटाई के बाद किसानों द्वारा धान के अवशेषों को जलाने के हर साल कई मामले सामने आते है !लेकिन इस बार खेतीबाड़ी विवाग द्वारा धान के अवशेषों को न जलाने की हिदायतों पर किसानों ने भी अमल किया है जिस के चलते इन दिनों में धान के अवशेषों को किसानों द्वारा जलाने के बाद चारो तरफ दिखने वाले धुंए से पठानकोट को राहत मिली है ! जिसकी पुष्टि नासा द्वारा भी दर्शाये गए नक़्शे में की गई है ! जिस में जहां पंजाब के कई जिलो और इसके साथ लगते राज्यो को लाल निशान लगा कर प्रदूषण से भरा दिखाया गया !वहीं पठानकोट स्मोक फ्री दर्शाया गया है !इन सब बातो का खुलासा डी सी पठानकोट की और से किया गया है जिसके चलते इस बार पठानकोट जिला स्मोक फ्री जिला बन गया है
-अगर बात करे पठानकोट में धान की फसल की तो कुल 27 हजार हेक्टेयर जमीं पर इसकी बुआई की जाती है !जिस से तकरीबन 80 हजार मीट्रिक टन धान की पैदावार होती है! जिसके साथ एक लाख पांच हजार मीट्रिक टन पराली पैदा होती है! जिस से अगर किसानों द्वारा एक टन पराली को आग लगाई जाती है 400 किलो जैविक कारबन , 5.5 किलो नाइट्रोजन , 2.3 किलो फास्फोरस , 25 किलो पोटास और इसके साथ साथ मिटटी के अंदर के लघु जीवो का भी नुक्सान होता है! इसके इलाबा बड़ी मात्रा में जहरीली गैस भी पैदा होती हैँ जो की इंसानी शरीर पर बुरा प्रभाब डालती है लेकिन इस बार पठानकोट के किसानों ने खेतीबाड़ी विवाग के सहयोग से इस बार धान के अवशेषों को जलाया नही बल्कि उन्हें बेच कर मुनाफा कमाया है जिसके बारे में बात करते हुए एक किसान ने बताया की पहले जहां बो धान के अवशेषों को जला देते थे लेकिन इस बार उन्होंने इस में मिलने वाली पराली को पशुओ के चारे के लिए बेचा है जिस से हमें इनकम हुई है हम दूसरे किसानों को भी कहते है की बो भी इन अवशेषों को जलाये नही बल्कि इन को बेच कर मुनाफा कमाए इसके इलाबा जो अवशेष बचते है उन्हें खेतो में ही मिटटी में मिला दिया गया है ! के प्रशासन सहित पब्लिक में ख़ुशी का महौल है कि उनके जिला पठानकोट ने दुनिया के नक्शे पर जिले सहित स्टेट और सबसे बड़ी बात भारत को उभारा है ! ये सम्मान की बात है ! किसानों द्वारा धान के अवशेष (प्रालि) न जलाने के कारण जिला पठानकोट हुआ स्मोक फ्री और इसकी पुष्टि खुद पठानकोट के डिप्टीकमिश्नर ने करते हुए एग्रीकल्चरल डिपार्टमेंट सहित कृषकों को भी शाबाशी दी है !