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चंडीगढ़ 17 अगस्त:- आरके विक्रमा शर्मा प्रस्तुति– :– “हाथ से मोती गिरने पर उन्हें तुरंत उठा लेते हैं। ठीक इसी प्रकार रिश्ते भी कीमती होते हैं। इन्हें गिरने मत दें। इन्हें संभाल कर रखिए। रिश्ते तो मोतियों से भी बेशकीमती होते हैं”।
एक मर्तबा विक्रांत हाईवे पर गाड़ी चलाता हुआ अपनी मंजिल की सम्मत बढ़ रहा था। तभी सड़क के किनारे उसे एक 13-14 साल की लड़की तरबूज बेचती दिखाई दी। विक्रांत ने गाड़ी रोक कर पूछा “तरबूज का क्या रेट है बेटा? ” लड़की बोली ” 50 रुपये का एक तरबूज है साहब।”
पीछे की सीट पर बैठी विक्रांत की पत्नी मीना बोली ” इतना महंगा तरबूज नही लेना जी। चलो यहाँ से। “विक्रांत बोला “महंगा कहाँ है इसके पास जितने तरबूज है कोई भी पांच किलो के कम का नही होगा। 50 रुपये का एक दे रही है तो 10 रुपये किलो पड़ेगा हमें। बाजार से तो तू बीस रुपये किलो भी ले आती है। “
विक्रांत की पत्नी ने कहा तुम रुको मुझे मोल भाव करने दो।” फिर वह लड़की से बोली “30 रुपये का एक देना है तो दो वरना रहने दो। ” लड़की बोली ” 40 रुपये का एक तरबूज तो मै खरीद कर लाती हूँ आंटी। आप 45 रुपये का एक ले लो। इससे सस्ता मै नही दे पाऊँगी।”
विक्रांत की पत्नी बोली” झूठ मत बोलो बेटा। सही रेट लगाओ देखो ये तुम्हारा छोटा भाई है न? इसी के लिए थोड़ा सस्ता कर दो।” उसने खिड़की से झाँक रहे अपने चार वर्षीय बेटे की तरफ इशारा करते हुए कहा।
सुंदर से बच्चे को देख कर लड़की एक तरबूज हाथों मे उठाते हुए गाड़ी के करीब आ गई। फिर लड़के के गालों पर हाथ फेर कर बोली ” सचमुच मेरा भाई तो बहुत सुंदर है आँटी।” विक्रांत की पत्नी बच्चे से बोली “दीदी को नमस्ते बोलो बेटा। ” बच्चा प्यार से बोला “नमस्ते दीदी। लड़की ने गाड़ी की खिड़की खोल कर बच्चे को बाहर निकाल लिया फिर बोली ” “तुम्हारा नाम क्या भैया? “
लड़का बोला ” मेरा नाम गोगू है दीदी। ” बेटे को बाहर निकालने के कारण विक्रांत की पत्नी कुछ असहज हो गई। तुरंत बोली “अरे बेटा इसे वापस अंदर भेजो। इसे डस्ट से एलर्जी है।”लड़की उसकी आवाज पर ध्यान न देते हुए लड़के से बोली “तु तो सचमुच गोल मटोल है रे भाई। तरबूज खाएगा? “लड़के ने हाँ मे गर्दन हिलाई तो लड़की ने तरबूज उसके हाथों मे थमा दिया।
पाँच किलो का तरबूज गोगू नही संभाल पाया। तरबूज फिसल कर उसके हाथ से नीचे गिर गया और फूट कर तीन चार टुकड़ों मे बंट गया। तरबूज के गिर कर फुट जाने से लड़का रोने लगा।
लड़की उसे पुचकारते हुए बोली अरे भाई रो मत। मै दूसरा लाती हूँ। फिर वह दौड़कर गई और एक और बड़ा सा तरबूज उठा लाई।
जब तक वह तरबूज उठा कर लाई इतनी देर मे विक्रांत की पत्नी ने बच्चे को अंदर गाड़ी मे खींच कर खिड़की बन्द कर ली। लड़की खुले हुए शीशे से तरबूज अंदर देते हुए बोली “ले भाई ये बहुत मिठा निकलेगा।” विक्रांत चुपचाप बैठा लड़की की हरकतें देख रहा था।

विक्रांत की पत्नी बोली “जो तरबूज फूटा है मै उसके पैसे नही दूँगी। वह तुम्हारी गलती से फूटा है। “लड़की मुस्कराते हुए बोली “उसको छोड़ो आंटी। आप इस तरबूज के पैसे भी मत देना। ये मैने अपने भाई के लिए दिया है। “
इतना सुनते ही विक्रांत और उसकी पत्नी दोनों एक साथ चौंक पड़े। विक्रांत बोला ” नही बिटिया तुम अपने दोनों तरबूज के पैसे लो।” फिर सौ का नोट उस लड़की की तरफ बढ़ा दिया। लड़की हाथ के इशारे से मना करते हुए वहाँ से हट गई। और अपने बाकी बचे तरबुजों के पास जाकर खड़ी हो गई।
विक्रांत भी गाड़ी से निकल कर वहाँ आ गया था। आते ही बोला “पैसे ले लो बेटा वरना तुम्हारा बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा।” लड़की बोली माँ कहती है जब बात रिश्तों की हो तो नफा नुकसान नही देखा जाता। आपने गोगू को मेरा भाई बताया मुझे बहुत अच्छा लगा। मेरा भी एक छोटा सा भाई था मगर..”
विक्रांत बोला “क्या हुआ तुम्हारे भाई को?”
वह बोली “जब वह दो साल का था तब उसे रात मे बुखार हुआ था। सुबह माँ हॉस्पिटल मे ले जा पाती उससे पहले ही उसने दम तौड़ दिया था। मुझे मेरे भाई की बहुत याद आती है। उससे एक साल पहले पापा भी ऐसे ही हमे छोड़ कर गुजर गए थे।
विक्रांत की पत्नी बोली “ले बिटिया अपने पैसे ले ले। ” लड़की बोली “पैसे नहीं लूंगी आंटी।”
विक्रांत की पत्नी गाड़ी मे गई फिर अपने बैग से एक पाजेब की जोड़ी निकाली। जो उसने अपनी आठ वर्षीय बेटी के लिए आज ही तीन हजार मे खरीदी थी। लड़की को देते हुए बोली। तुमने गोगू को भाई माना तो मै तुम्हारी माँ जैसी हुई ना। अब तू ये लेने से मना नही कर सकती।
लड़की ने हाथ नही बढ़ाया तो उसने जबरदस्ती लड़की की गोद मे पाजेब रखते हुए कहा “रख ले। जब भी पहनेगी तुझे हम सब की याद आयेगी। “इतना कहकर वह वापस गाड़ी मे जाकर बैठ गई।
फिर विक्रांत ने गाड़ी स्टार्ट की और लड़की को बाय बोलते हुए वे चले पड़े। विक्रांत गाड़ी चलाते हुए सोच रहा था कि भावुकता भी क्या चीज है। कुछ देर पहले उसकी पत्नी दस बीस रुपये बचाने के लिए हथकण्डे अपना रही थी।कुछ देर मे ही इतनी बदल गई जो तीन हजार की
पाजेब दे आई।
फिर अचानक विक्रांत को लड़की की एक बात याद आई “रिश्तों मे नफा नुकसान नही देखा जाता।”
विक्रांत का प्रॉपर्टी के विवाद को लेकर अपने ही छोटे भाई से कोर्ट मे मुकदमा चल रहा था।।
उसने तुरंत अपने छोटे भाई को फोन मिलाया। फोन उठाते ही बोला ” छोटे मै विक्रांत बोल रहा हूँ। “
छोटा भाई बोला “फोन क्यों किया? ” विक्रांत बोला ” छोटे आप वो होटल ओर दुकान ले लो। मेरे लिए कोठी छोड़ दो। और वो गांव की सारी जमीन भी आप ले ले। मै छोटे वाला मकान ले लूंगा। मै कल ही मुकदमा वापस ले रहा हूँ। ” सामने से काफी देर तक आवाज नही आई।
फिर उसके भाई ने कहा “इससे तो तुम्हे बहुत नुकसान हो जाएगा ? “विक्रांत बोला ” छोटे आज मुझे समझ मे आ गया है रिश्तों मे नफ़ा-नुकसान नही देखा जाता। एक दूसरे की खुशी देखी जाती है। उधर से फिर खामोशी छा गई। फिर विक्रांत को छोटे भाई की रोने की आवाज सुनाई दी।
विक्रांत बोला “रो रहे हो क्या छोटे ?” …बहुत नफा नुकसान ?” इतने प्यार से पहले बात करता तो सब कुछ मै तुझे दे देता रे। अब घर आ जा। दोनों प्रेम से बैठ कर बंटवारा करेंगे। इतनी बड़ी कड़वाहट कुछ मीठे बोल बोलते ही न जाने कहाँ चली गई थी। कल जो एक एक इंच जमीन के लिए लड़ रहे थे वे आज भाई को सब कुछ देने के लिए तैयार हो गए थे।
कहानी से शिक्षा:-
त्याग की भावना रखिये। अगर हमेशा देने को तत्पर रहोगे तो लेने वाले का भी हृदय परिवर्तन हो जाएगा।
याद रखे रिश्तों मे नफा-नुकसान नही देखा जाता।
अपनो को करीब रखने के लिए अपना हक भी छोड़ना पड़ता है!
–साभार🙏🏼 मीडिया जंक्शन।

