चंडीगढ़ 15 अगस्त आरके विक्रमा शर्मा अनिल शारदा — विशाखापत्तनम की एक दंपति ने उसी दिन जुड़वां बेटियों को जन्म दिया जिस दिन उन्होंने 2 साल पहले अपनी दोनो बेटियों को खो दिया था. यह पुनर्जन्म की बातेँ सब मज़हब और सम्प्रदाय पंथ व मत आदि में होती हैं. इस्लाम मज़हब में तो कयामत की बेसब्री से इंतजार करते. इसलिए जलाते नहीं शव को कब्रिस्तान में दफन कर देते हैं. सनातनी सभ्यता संस्कृति में पुनर्जन्म के विश्वास के कारण लोग अनैतिकता अधर्म अपराध आदि से अपने जीवन को प्रभावित नहीं होने देते हैं.
दुर्भाग्यवश 15 सितंबर 2019 को विशाखापट्टनम के किसी कोने में एक नाव दुर्घटना घटी. तो उक्त दुर्घटना में उन्होंने अपनी दो बेटियों को खो दिया. सनातन धर्म की पराकाष्ठा देखिए 15 सितंबर 2021 को उन्हें जुड़वां बेटियों का आर्शीवाद प्रासाद मिला है। दंपति को पुनः अपनी दोनों बेटियों प्रभु अनुकम्पा से ठीक दो साल बाद प्राप्त हुईं.