चंडीगढ़ 24 जुलाई आरके विक्रमा शर्मा हरीश शर्मा प्रस्तुति—- शास्त्रों के अनुसार जब व्यक्ति इस संसार में जन्म लेता है तो उसके भाग्य का निर्धारण पहले से हो जाता है। जन्म के समय ज्योतिष विद्या के माध्यम से उस व्यक्ति की ग्रहों और नक्षत्रों की चाल से कुंडली बनाई जाती है। कुंडली में कई तरह के दोष पाए जाते हैं उन्हीं में से एक दोष होता है पितृ दोष। ज्योतिष में पितृ दोष को अशुभ और दुर्भाग्य का कारक माना जाता है। कुंडली में पितृ दोष तब होता है जब सूर्य, चन्द्र, राहु या शनि में दो कोई दो एक ही घर में मौजूद हो। जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष बनता है उन्हें तमाम तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है। पितृदोष होने पर उस व्यक्ति के जीवन में उसे कई तरह के संकेत मिलते हैं।L-कुंडली में पितृ दोष होने पर संतान संबंधी समस्याएं होती है। जातक को संतान पैदा करने में दिक्कतें आती हैं। -पितृ दोष होने पर पीडित व्यक्ति को हमेशा धन की कमी बनी रहती है और पैसा का नुकसान होता है।-कुंडली में पितृ दोष होने पर शादी में तमाम तरह की परेशानियां आती है। शादी होने के बाद भी पति-पत्नी में अक्सर विवाद बना रहता है।-पितृ दोष होने पर व्यक्ति हमेशा विवाद और मुकादमों के चलते परेशान रहता है।-अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष के लक्षण होते हैं तो उसके परिवार के सदस्य हमेशा बीमार रहते हैं जिसके कारण से हमेशा अस्पताल के चक्कर काटने को मजबूर रहते हैं।-इस दोष से पीड़ित व्यक्ति के विवाह में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और मनचाहा जीवन साथी मिलने में परेशानी आती है।