चंडीगढ़ 21 जुलाई आरके विक्रमा शर्मा रोशन लाल शर्मा व अनिल शारदा प्रस्तुति—
शिक्षक वह मापदंड होता है जो आपको एक व्यक्ति से एक व्यक्तित्व के रूप में समाज के सामने प्रस्तुत करता है।
हम जानतें हैं कि हर शिक्षक के पढ़ाने का ढंग अलग होता है लेकिन हर शिक्षक की सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी होती है कि वह अपने विषय को विद्यार्थियों की जरूरत के अनुसार अनुकूल बनाएं और यथासंभव रिजल्ट भी प्राप्त करें। ऐसी ही विभिन्न शिक्षण शैलियों को अपनाकर श्रीमती सुधा सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल सेक्टर 32 सी में अपनी अध्यापन की सेवाएं 2015 से दे रही हैं। तथा वह पिछले 24 साल से भी ज्यादा समय से वह शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित है। अपनी शिक्षा पद्धति को सुचारू ढंग से चलने के लिए वह आज भी हर प्रकार के सेमिनार और ट्रेनिंग को करने की रचनात्मकता से रूबरू होती रहती हैं क्योंकि उनके अनुसार ट्रेनिंग और सेमिनार व्यावसायिक दक्षता का अभिन्न हिस्सा हैं। उनकी माताजी भी सरकारी शिक्षक रिटायर हुई है तो शायद शिक्षक का पेशा उनके अंदर उनके जींस से ही पोषित हो रहा था। उनका मनपसंद विषय अंग्रेजी है जिसमें उन्होंने कई हजारों विद्यार्थियों को अपनी शैली के द्वारा पारंगत किया है। वह समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए विद्यार्थियों के स्कूल समय के बाद भी छात्रों के माता-पिता की मर्जी प्राप्त कर उनको निशुल्क अंग्रेजी की शिक्षा देती रही है और हमेशा ही अपने छात्रों के लिए जरूरतानुसार उपलब्ध भी रही है। शिक्षण के साथ साथ काउंसलिंग के लिए हमेशा उपलब्ध रहती हैं। उन्होंने न केवल छात्रों को अपितु उनके माता-पिता को भी कोविड 19 के दौरान और आज भी जरूरत पड़ने पर समय अनुसार फोन पर बातचीत कर और निजी तौर पर मिलकर भी हर विषय का समयानुसार यथासंभव हल जताया है। अपनी शिक्षा के बढ़िया नतीजे और इस मेहनत के कारण उन्हें डायरेक्टर शिक्षा विभाग यू टी चंडीगढ़ से प्रशस्ति पत्र भी प्राप्त हुआ है वह हमेशा ही अपने रिजल्ट के लिए प्रत्येक वर्ष शिक्षण रणनीतियां बनाती हैं और शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को अच्छे स्कोर और सफलता के अवसर भी प्रदान करवाती है । अपने स्कूल में भी अच्छे अनुशासन के लिए उनका नाम प्राय हर विद्यार्थी के मन और मुंह पर होता है क्योंकि स्कूल की शैक्षणिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के दौरान उनके इस व्यक्तित्व के कारण और स्कूल प्रबंधन में अच्छे योगदान के लिए अनुशासन की ड्यूटी प्रथम रूप में उनको सौंपी जाती है। वह हमेशा ही अपने छात्रों को खुद तक पहुंचने में भी लचीलापन प्रेरणा और करुणा भाव से प्रेरित करती हैं क्योंकि कक्षा को सही ढंग से नियंत्रण करना और हर प्रश्न का संभवत ठोस उत्तर देना उनकी कार्य प्रणाली का विशेष अंग है। छात्र को प्रोत्साहित कर जवाबदेह बनाना उनके व्यवहार की अनूठी शिक्षा प्रणाली है जिसे छात्र बाखूबी समझते हैं और वे हमेशा अपने आप को अपने प्रश्नों सहित उन तक पहुंचने में किसी भी प्रकार की कठिनाई अनुभव नहीं करते। विद्यार्थियों को रोजाना के पाठ्यक्रम के दौरान उत्तर देने के लिए वह छोटे-छोटे पुरस्कारों का भी उपयोग करती हैं ताकि बच्चों की सोच को सकारात्मक रूप में ढाल सके। छात्र भी उनके द्वारा पढ़ाए गए अंग्रेजी के विषय का विवरण बहुत ही सरलता और प्रभाव पूर्वक रूप से प्रदर्शित करते हैं। वह हमेशा ही पाठ्यक्रम को बाहरी रूप से जोड़ कर असल जिंदगी की कहानियों किस्सों के साथ जोड़ कर प्रभावशाली रूप से पढ़कर नियमित मूल्यांकन करके छात्रों के व्यक्तित्व को निखारती हैं। स्कूल में परीक्षा पर चर्चा विषय के तहत छोटी-छोटी मीटिंग कर परीक्षा का डर भी छात्रों के मन से निकाल देती है।अंग्रेजी शिक्षक यानी कि साहित्य शिक्षक के रूप में उन्होंने इस वर्ष इंटरनेशनल पद्धति की टिसोल शिक्षक प्रणाली में भी सर्टिफिकेट हासिल किया है ताकि वह स्वयं की शिक्षक प्रणाली को और भी अच्छे ढंग से छात्रों में किसी न किसी एक्टिविटी के रूप में पड़कर अपना योगदान डाल सके और विद्यार्थियों की मदद कर सके। इसके वह शिक्षा विभाग चंडीगढ़ यू टी तथा आदरणीय डी एस ई श्री हरसुहिंदरपाल सिंह जी का धन्यवाद करती हैं जिन्होंने शिक्षा के स्तर को बढ़ाने और उन्हें अपनी जानकारी को प्राघाढ करने का अवसर प्रदान किया है।
श्रीमती सुधा एक गहन और विचारशील अध्यापिका है जो आज भी अपने अनुभव से उपाख्यानों और उदाहरणों से अपना कौशल और बोधगम्यता का प्रदर्शन करती हैं। वह हर वर्ष आने वाले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवस को भी स्कूल में बहुत सौम्य ढंग से अपने छात्रों साथ किसी न किसी एक्टिविटी का रूप दे कर मनाती हैं ताकि बच्चों को उनका महत्त्व हमेशा याद रहे। अपने स्कूल की कई कमेटीज की वो एक्टिव मेंबर है तथा स्कूल की प्रबंधन तथा सांस्कृतिक गतिविधियों में भी वह हिस्सा लेती है।
छात्रों को पढ़ना उनके लिए प्राय प्रथम सुखद पलों की अनुभूति है जो उनकी जीवन शैली को भी निखारता है। श्रीमती सुधा प्रौढ़ शिक्षक के कर्तव्यों को निभाती हुई नैतिक शिक्षा के उन मूल्यों को भी बच्चों में सुबह की असेंबली के समय सक्रिय रूप से शामिल करती है जो हमारे देश के रीति रिवाज तथा संस्कृति को उजागर करते हैं । स्कूल के अतिरिक्त वह समाज में भी एक अच्छे सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपना स्थान रखती हैं। चंडीगढ़ को हरा भरा व सुन्दर बनाने के कार्यों जैसे वन महोत्सव मनाने, अपने आस पास के तथा शहर के वातावरण में स्वच्छता अभियान में हिस्सा लेने, खून दान कैंप में समूहों को अपनी सेवाएं देने के साथ साथ लेखन तथा हीलिंग के क्षेत्र में भी योगदान डालती रहती हैं। श्रीमती सुधा को हम उनके प्रेरणादायक कार्य के लिए शुभकामनाएं प्रदान करते हैं और उनके उज्जवल भविष्य की भी कामना करते है।