देश कब तक न्याय पाने के लिए के लेगा सहारा धरने ओर प्रदर्शनों का ; राकेश पंडित/ अल्फ़ा न्यूज़ इंडिया

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देश कब तक न्याय पाने के लिए के लेगा सहारा धरने ओर प्रदर्शनों का ; राकेश पंडित/ अल्फ़ा न्यूज़ इंडिया 
कुरुक्षेत्र से राकेश पण्डित द्वारा अल्फ़ा न्यूज़ इंडिया के माध्यम से समाज हित में 
भारत देश में जहां न्याय से जल्दी अन्याय मिलता है एक ऐसा देश जहां पर लोग अपनी आवाज को उठाने के लिए सहारा लेते रोड़ जाम,धरने प्रदर्शन ओर ना जाने कितने हथकड़े जिससे उनकी आवाज को तेजी मिल सके देश का दुर्भाग्य हकी है कि हम कल्पना तो कर रहे है विकसित भारत की जहां पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं का नारा तो है लेकिन सच्चाई ये है आज भी महिलाओं पर दिन रात अत्याचार बढ़ रहे है ओर बलात्कारी खुले आम घुम रहा है ओर जब न्याया ना मिले तो पीढि़त परिवार लाश को रखकर सडक़ो पर उतर जाता है ओर रख देता है कड़वी सच्चाई ये भी है कि जहां बलात्कार पीडि़त को न्याय पाने के लिए आत्महत्या की चेतावनी देनी पड़ी,रोड़ एक्सीड़ेट के बाद शव को सडक़ पर रखकर धरना देना पड़े उस मुल्क में न्याय की उम्मीद रखना मुर्खता है।
आज भी न्याय की बात करे तो आज भी भारत देश के लोग न्याय पाने के लिए हमारी रक्षा के लिए के लिए खोले गये थानों में आज भी लोगों को जाते हुए डर लगता है ओर ये घबराहट बढ़ती ही जा रही है। न्याय पक्रिया को देखे लोगो को न्याय पाने में लोगो को आधी उम्र का हिस्सा कोर्ट कचहरी में ही लग जाता है।  

देश के प्रधानमंत्री के हाथों मे होता है देश का भविष्य ओर देश का भविष्य तय करती है हमारी संसद ओर संसद को चलाते है हमारे देश के सांसद आज ससंद से लेकर सडक़ तक सब लड़ रहे है ओर हमारा भविष्य कही काल के अध्ंाकार में है। समय के साथ सब कुछ बदल जाता है लेकिन आज कानुन को ओर ज्यादा प्रबल बनाने के लिए अनेक योजनाएं बनायी जा रही है चाहे लोक अदालत,पुलिस प्रशासन अति आधुनिक तरीकों से लैश करना लेकिन क्या न्याय सब को मिल रहा है। न्याय की आस रहे हजारों परिवार इस आजादी को मन ही मन खारिज कर रहे होगें। जिस देश में न्यायिक प्रणाली की दुर्दशा देखकर खुद चीज जस्टिस को रोना आ जाए ओर सरकार चला रहे लोग जानते है कि अदालतों में 2.7 करोड़ मामले लबिंत है। 
लेकिन अन्याय की गाथा तो इससे भी पहले पुलिस थानों और अस्पतालों में शुरू हो जाती है अपराध का शिकार होने के बावजूद सबसे पहले आम नागरिक को पुलिस के सामने मिन्नत करनी पड़ेगी.पुलिस को यकीन दिलाना पड़ेगा कि हां मेरे साथ ऐसा हुआ है अगर अपराध करने वाला किसी राजनीतिक पार्टो से जुड़ा शख्स या फिर कोई बड़े कनेकशन वाला इंसान निकला तो फिर पुलिस को अपने सामने केस के साथ खुली तिजोरी दिखाई पड़ती है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो क्या कानुन पाना ओर मुश्किल होता जाएगा क्या देश के लोगो को न्याय पाने के लिए सडक़ो पर धरने प्रदर्शन का सहारा लेना जरूरी है क्या देश का कानुन ओर तेज होगा देश के लिए सबसे बड़ी समस्या लोगो तक न्याय प्रणाली का मजबूत करना ओर लोगो का न्याय के मंदिरों मे अस्था को ओर बढावा देना।

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