03 सप्ताह में 13 पुल बिहार में ध्वस्त आखिर सच है या साजिश!?!?!?

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चंडीगढ़ 19 जुलाई अल्फा न्यूज़ इंडिया प्रस्तुति —बिहार में क्यों धड़ाधड़ गिर रहे हैं पुल और बांध ? पहले बांध बनाने में लूटाअब फिनिंशिग के नाम पर लूट —————————–वीओ-1(Start with demolishing pull.. video )बरसात में धड़ाधड़ गिरते पुल और बांध के कारण पूरे देश में बिहार की बदनामी हो रही है.. पिछले तीन हफ्ते में 13 पुल ढह चुके हैं.. बिहार में काम करने के तरीके को लेकर पूरा देश हैरान है.. आखिर केवल बिहार से ही ऐसी ख़बरें क्यों आती हैं.. पुल की बदहाली के साथ-साथ बिहार में बन रहे बाँधों की भी यही हालत हो रही है । ऐसी ही एक घटना बिहार के खगड़िया जिले में बागमती पर बने बांध की भी है.. जिसका काम तो 2-3 साल पहले ही पूरा हो चुका है। .. हमने जब इसकी पड़ताल करने की कोशिश की तो ये जानकर हैरान रह गए कि 48 किलोमीटर लंबा ये बागमती बांध और दो और बांध 45 किलोमीटर और 18 किलोमीटर हैं। ये काम 2018 में टेंडर के जरिए 650 करोड़ में दिया गया था। इसको बनाने का जिस कंपनी ने इसका ठेका लिया था, उसने लापरवाही की हद कर दी.. यहां देखने से साफ समझ में आता है कि करीब 650 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में बिहार सरकार एवं वहाँ के गाँव वालों को तगड़ा चूना लगाने का काम आज भी जारी है। मौके पर जाकर हमने जब पड़ताल की तो हालात एकदम चौंकाने वाले नज़र आए। आसपास रहने वाले लोगों से सुनिए। बाइट- स्थानीय जनता वीओ-2बांध पर आठ से दस फीट से बड़े रेनकट दिखाई दिए जबकि बारिश की अभी शुरुआत ही हुई है। इतने बड़े गड्डे होने का कारण ये है कि इस बांध के साथ छेड-छाड़ कर बड़े रक़म की हज़म करने की साज़िश चल रही है। कहानी यह है कि इस बांध का काम दो-तीन साल पहले ही पूरा हो चुका था। इस बीच यह बांध दो-तीन बारिश भी झेल चुकी है जिस कारण बांध काफ़ी मजबूत हो गया था। इसके ऊपर उगी जड़ी बूटियों और घने छोटे पेड़ लगे थे,जिसको इसको बारिश की सीधी मार से बचा रहे थे। लेकिन पिछले तीन-4 महीने से कुछ मशीनें लगाकर बांध का बहुत सारा हिस्सा, जो पहले से मजबूत हो चुके थे, को कमजोर करने का काम किया गया। इस पर लगी जड़ी बूटियां और छोटे पेड़ों, जो बांध को मजबूत बना रहे थे, उनको उखाड़ने का काम किया गया। आसपास के जानकार लोगों के समझाने एवं रोकने के बाद भी पेड़ उखाड़ने का काम आज भी दबंगई से चल रहा है। इसके पीछे कारण ये है कि सरकार को दिखाया जा सके कि इस काम को अभी दो-तीन माह के अंदर ही पूरा कराया गया है। इसके जरिए BSCPL कंपनी मरम्मत का बजट पास करवाकर एक बार फिर बिहार सरकार को चूना लगाना चाहती है। जाहिर है इतना बड़ा घोटाला बिना विभागीय अधिकारियों एवं सरकार के मिलीभगत के हो ही नही सकता है। बिहार सरकार से और मोटी रकम निकलवाने के लिए BSCPL, फ्रन्टलाइन इन्नोवेशन प्राइवेट लिमिटेड (FIPL) और जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ये नया प्लान तैयार किया जा रहा है। जब हमारी टीम ने बांध एरिया का दौरा किया तो अनेक अनियमितताएं सामने आईं। बाइट- स्थानीय लोगवीओ-3आपको बता दें कि जिस कंपनी BSCPL और फ्रन्टलाइन इन्नोवेशन प्राइवेट लिमिटेड ( FIPL) को बिहार सरकार का खगड़िया बांध प्रोजेक्ट का काम सौंपा गया, उन्हीं की एक कंपनी ‘सी एंड सी’ ( Chadha & Chadha) के विरुद्ध पहले ही धोखाधड़ी का मुक़दमा पंजाब में चल रहा है। पंजाब सरकार द्वारा ब्लैकलिस्ट किए जाने के बाद, ‘सी एंड सी’ कंपनी के ही सभी निदेशकगण ने मिलकर सरकार को धोखा देकर काम लेने के लिए एक नई कंपनी ( FIPL) बना डाली और इस नयी कंपनी में काम लेकर सरकार को खूब ठगा। इससे इनकार नहीं किया जा सकता की इस बात की पूरी जानकारी सरकारी महकमे में पूर्ण रूप से थी चूँकि वही निदेशक इस कंपनी के लिए भी सरकार से संपर्क कर रहे थे। “C & C” के निदेशकों ने BSCPL को आगे करके काम लिया और फिर पूरा का पूरा कार्य सरकारी नियमों को ताक पर रखकर ख़ुद की नई कंपनी FIPL के साथ एकरारनामा करा लिया। आगे आपको बताएँ कि इन लोगों ने न केवल बिहार सरकार से धोखाधड़ी की बल्कि जिन छोटे 30-35 ठेकेदारों को आगे काम दिया, उनका पैसा भी मार लिया। इसके अलावा मिट्टी की क्वांटिटी के काम में भी बड़ी धांधली की गई। इन बड़ी कंपनियों ने सरकार से 650 करोड़ में ठेका हासिल किया और सारा काम छोटे ठेकेदारों को 250 करोड़ पर जारी कर दिया। इन छोटे ठेकेदारों के साथ FIPL ने जो एकरारनामा किया है, उसकी प्रति हमारे पास उपलब्ध है। जिससे स्पष्ट है कि सरकारी एस्टिमेट की तुलना में इन छोटे ठेकेदारों से यह काम केवल 35% बजट में पूरा कराया गया। इससे ये भी साफ है कि विभागीय अधिकारियों ने कंपनी के साथ मिलकर एस्टिमेट को ही बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बनाया। इसलिए एस्टिमेट तैयार करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी जांच होनी चाहिए। बताते हैं कि जो भुगतान BSCPL/FIPL द्वारा सरकार से लिया जा रहा है, उसकी एक बहुत छोटी राशि का भुगतान इन छोटे ठेकेदारों को किया जा रहा है।कहा जा रहा है कि वास्तव में किए गये काम से बहुत अधिक काम मेजरमेंट बुक (MB) में चढ़वाने के लिए विभाग के इंजीनियर/पदाधिकारियों को मोटी रक़म देना पड़ता है। इसके खिलाफ इन ठेकेदारों ने बिहार सरकार से कई बार शिकायत भी की और प्रदर्शन भी किया। इसके कारण काम में भी देरी हुई परंतु BSCPL/FIPL ने विभाग का खुशामद करके पाँच बार extension प्राप्त किया। । अब एक बार फिर मरम्मत और फिनिंशिंग के नाम पर विभागीय अधिकारी और कंपनी के लोग सरकार को लूटने में लग गए हैं। ऐसा ही एक और मामला सामने आया है जिसकी जांच हमारी टीम कर रही है,जिसमें एक और B N सेक्शन बांध जो कि तकरीबन 18 किलोमीटर लंबा है, बांध पर जो भी काम हुआ है, वहां पर बहुत पास से मिट्टी और रेत लेकर काम किया जा रहा है, जबकि MB में दिखाया जा रहा है कि इसे बहुत दूर से लाया गया है। इतना ही नहीं जितनी मिट्टी वहां पड़ी है, उससे तीन गुना ज़्यादा एस्टिमेट दिखाया जा रहा है, जिससे सरकार को चूना लगाने के साथ साथ आमजन की जानमाल पर खतरा भी है। इनकी जांच खनन विभाग से भी कराने की माँग उठ रही है। यदि इन आरोपों और BSCPL द्वारा रचा गया इस कुकृत्य की गहराई से जाँच नहीं होती है तो इसी तरह बिहार में पुल और बांध गिरते रहेंगे और बिहार सरकार, पूरे देश में बदनाम होती रहेगी और बाढ़ से बिहार में बदहाली होगी।बाइट- स्थानीय लोगवॊ ओ वैसे भी सरकार ने बांध की मजबूती और पर्यावरण सुधारने के लिए करोड़ों रुपये लगाकर जो पेड़ पौधे और जड़ी बूटियां लगवाई हैं, उनको उखाड़ना किसी भी सूरत में जायज नहीं है। इतना ही नहीं बिना परमिशन पेड़ों को काटना एक अपराध है और इसकी जिम्मेदारी किसकी है, माइनिंग विभाग तथा वन एवं पर्यावरण विभाग से इसकी जांच करायी जानी चाहिए। बड़ी बात ये है कि इस काम में केन्द्र सरकार का भी योगदान है, ऐसे में इस पूरे घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपनी चाहिए, जिससे विभाग में जड़ें जमा चुके घोटालेबाज विभागीय अफसरों को भी जांच के दायरे में लाया जा सके। ये साफ समझ में आता है कि बिना विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के इतना बड़ा घोटाला करना मुमकिन ही नहीं है। न्यूज़ रिपोर्ट———-।। सांकेतिक पुल चित्र।।

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