17 जुलाई 2024 बुधवार से चातुर्मास प्रारंभ– ज्योतिष आचार्य कृष्ण मेहता

Loading

🌞 चंडीगढ़ 12 जुलाई आरके विक्रमा शर्मा हरीश शर्मा प्रस्तुति—-*चातुर्मास्य व्रत की महिमा* 🌷17 जुलाई 2024 बुधवार से चातुर्मास प्रारंभ।*🙏🏻 *आषाढ़ के शुक्ल पक्ष में एकादशी के दिन उपवास करके मनुष्य भक्तिपूर्वक चातुर्मास्य व्रत प्रारंभ करे। एक हजार अश्वमेघ यज्ञ करके मनुष्य जिस फल को पाता है, वही चातुर्मास्य व्रत के अनुष्ठान से प्राप्त कर लेता है।*🙏🏻 *इन चार महीनों में ब्रह्मचर्य का पालन, त्याग, पत्तल पर भोजन, उपवास, मौन, जप, ध्यान, स्नान, दान, पुण्य आदि विशेष लाभप्रद होते हैं।*🙏🏻 *व्रतों में सबसे उत्तम व्रत है – ब्रह्मचर्य का पालन। ब्रह्मचर्य तपस्या का सार है और महान फल देने वाला है। ब्रह्मचर्य से बढ़कर धर्म का उत्तम साधन दूसरा नहीं है। विशेषतः चतुर्मास में यह व्रत संसार में अधिक गुणकारक है।*🙏🏻 *मनुष्य सदा प्रिय वस्तु की इच्छा करता है। जो चतुर्मास में अपने प्रिय भोगों का श्रद्धा एवं प्रयत्नपूर्वक त्याग करता है, उसकी त्यागी हुई वे वस्तुएँ उसे अक्षय रूप में प्राप्त होती हैं। चतुर्मास में गुड़ का त्याग करने से मनुष्य को मधुरता की प्राप्ति होती है। ताम्बूल का त्याग करने से मनुष्य भोग-सामग्री से सम्पन्न होता है और उसका कंठ सुरीला होता है। दही छोड़ने वाले मनुष्य को गोलोक मिलता है। नमक छोड़ने वाले के सभी पूर्तकर्म (परोपकार एवं धर्म सम्बन्धी कार्य) सफल होते हैं। जो मौनव्रत धारण करता है उसकी आज्ञा का कोई उल्लंघन नहीं करता।*🙏🏻 *चतुर्मास में काले एवं नीले रंग के वस्त्र त्याग देने चाहिए। नीले वस्त्र को देखने से जो दोष लगता है उसकी शुद्धि भगवान सूर्यनारायण के दर्शन से होती है। कुसुम्भ (लाल) रंग व केसर का भी त्याग कर देना चाहिए।*🙏🏻 *आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रीहरि के योगनिद्रा में प्रवृत्त हो जाने पर मनुष्य चार मास अर्थात् कार्तिक की पूर्णिमा तक भूमि पर शयन करें । ऐसा करने वाला मनुष्य बहुत से धन से युक्त होता और विमान प्राप्त करता है, बिना माँगे स्वतः प्राप्त हुए अन्न का भोजन करने से बावली और कुआँ बनवाने का फल प्राप्त होता है। जो भगवान जनार्दन के शयन करने पर शहद का सेवन करता है, उसे महान पाप लगता है। चतुर्मास में अनार, नींबू, नारियल तथा मिर्च, उड़द और चने का भी त्याग करें । जो प्राणियों की हिंसा त्याग कर द्रोह छोड़ देता है, वह भी पूर्वोक्त पुण्य का भागी होता है।*🙏🏻 *चातुर्मास्य में परनिंदा का विशेष रूप से त्याग करें । परनिंदा को सुनने वाला भी पापी होता है।**परनिंदा महापापं परनिंदा महाभयं।**परनिंदा महद् दुःखं न तस्याः पातकं परम्।।*🙏🏻 *‘परनिंदा महान पाप है, परनिंदा महान भय है, परनिंदा महान दुःख है और पर निंदा से बढ़कर दूसरा कोई पातक नहीं है।’*🌷 *(स्कं. पु. ब्रा. चा. मा. 4.25)**🌷 *(पद्म पुराण के उत्तर खंड, स्कंद पुराण के ब्राह्म खंड एवं नागर खंड उत्तरार्ध से संकलित)* 🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞🙏🏻🌷🍀🌼🌹🌻🌸🌺💐🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

131423

+

Visitors