आज पुण्यतिथि – स्वतंत्र भारत के सफलतम सेनापति फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ

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🇮🇳 चंडीगढ़ 27 जून 2024—आरके विक्रमा शर्मा हरीश शर्मा अश्वनी शर्मा प्रस्तुति—

🇮🇳🎖️पुन्य तिथि 27जून 2008🇮🇳🎖️

🇮🇳🥇आज पुन्य तिथि है – स्वतंत्र भारत के सफलतम सेनापति फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ

🇮🇳🥇आत्‍मसमर्पण करो या सफाया कर देंगे… जब फील्‍ड मार्शल सैम मानेकशॉ की दहाड़ सुन कांप गए थे पाकिस्तानी

🇮🇳🥇 जन्मतिथि 3 अप्रैल 1914, अमृतसर
🇮🇳🥇 पुण्यतिथि 27 जून 2008, वेलिंगटन

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🇮🇳फील्‍ड मार्शल सैम मानेकशॉ को बांग्लादेश का जन्मदाता माना जाता है। उन्हीं के नेतृत्व में भारतीय सेना ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को हराकर बांग्लादेश को स्वतंत्र कराया था। सैम मानेकशॉ फील्ड मार्शल के पद पर प्रोन्नत होने वाले प्रथम भारतीय जनरल थे। उन्होंने ब्रिटिश सेना से अपने करियर की शुरुआत की थी।

🇮🇳🥇 आज फील्‍ड मार्शल सैम मानेकशॉ की पुन्य तिथि है। मानेकशॉ के नेतृत्व में ही 1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर जीत हासिल की थी। उनके ही कारण तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान आज बांग्लादेश के नाम से एक अलग देश है। उस वक्त भारत सैन्य मोर्चे पर इतना ताकतवर नहीं था, जितना आज है। इसके बावजूद मानेकशॉ के कुशल नेतृत्व, सूझबूझ, साहस और पराक्रम ने बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना की जड़ें हिला दी थी। भारत के पहले फील्ड मार्शल मानेकशॉ ने 13 दिसंबर को पाकिस्तानी जनरल से स्पष्ट रूप से कहा था कि आप आत्मसमर्पण करें या हम आपको मिटा देंगे। उस समय भारतीय सेना पूर्वी और पश्चिमी मोर्चे पर एक साथ पाकिस्तान से भिड़ी हुई थी। लेकिन, भारत के निरंतर जमीनी और हवाई हमलों के कारण पाकिस्तानी सेना की स्थिति चरमरा गई थी।

🇮🇳🥇93000 पाकिस्तानी सैनिकों ने किया था आत्ममर्पण

🇮🇳🥇भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम के कारण पाकिस्तानी सेना के जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाजी ने 94,000 सैनिकों के साथ भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। 1971 का युद्ध 4 दिसंबर से 16 दिसंबर तक सिर्फ 12 दिनों तक चला था। इसे बांग्लादेश मुक्ति संग्राम 1971 के नाम से भी जाना जाता है। सैम मानेकशॉ ने ही बांग्लादेश में मौजूद पाकिस्तानी सेना को खदेड़ने के लिए एक साथ आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के इस्तेमाल पर जोर दिया था। यही कारण है कि पाकिस्तान की पूरी सप्लाई लाइन ही कट गई थी। 1971 के युद्ध में पूरे अरब सागर पर भारतीय नौसेना का कब्जा था। बांग्लादेश के आसमान पर भारतीय वायु सेना पकड़ बनाए बैठी थी और जमीन पर थल सेना मौजूद थी।

🇮🇳🥇पांच युद्धों में शामिल हुए थे सैम मानकेशॉ

🇮🇳🥇फील्ड मार्शल मानेकशॉ का पूरा नाम सैम होर्मसजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ था। उन्हें सैम मानेकशॉ और सैम बहादुर (सैम द ब्रेव) के नाम से जाना जाता है। मानेकशॉ ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश भारतीय सेना में अपने करियर की शुरुआत की थी। उनका सैन्य करियर चार दशकों तक सक्रिय रहा। इस दौरान वे पांच युद्धों में भी शामिल हुए। मानेकशॉ द्वितीय विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश सेना के लिए म्यांमार में मिलिट्री ऑपरेशन की अगुवाई भी की थी। वे 1947 में बंटवारे के बाद कश्मीर के भारत में विलय के बाद पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में भी शामिल रहे। उन्हें 8 जून 1969 को भारतीय सेना के आठवें प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था।

🇮🇳🥇भारत ने 1971 में पाक सेना को कैसे हराया

🥇🇮🇳1971 के युद्ध की शुरुआत पाकिस्तान ने की थी। 3 दिसंबर को पाकिस्तानी वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने आगरा समेत भारतीय वायु सेना के 11 एयरबेस पर एक साथ हमला किया था। इसे युद्ध की शुरुआत मानी गई और अगले ही दिन भारत ने जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी। बांग्लादेश में भारतीय सेना ने 12 दिसंबर 1971 को हार्डिंग ब्रिज, खेतलाल और मधुपुर पर कब्जा कर लिया। इसके बाद राजधानी ढाका पर कब्जे के लिए नरसिंगडी को बेस के तौर पर इस्तेमाल किया गया। जब जमीन पर भारतीय सेना ऑपरेशन में व्यस्त थी, तभी भारतीय वायु सेना ने ढाका के गवर्नर हाउस और पाकिस्तानी सेना के ठिकानों को निशाना बनाया। भारतीय नौसेना ने भी अरब सागर और बंगाल की खाड़ी पर पूरा प्रभुत्व जमा लिया। भारत का आईएनएस विक्रांत बंगाल की खाड़ी में युद्ध की कमान संभाले हुए था।

🇮🇳🥇कैसे शुरू हुआ था 1971 का युद्ध

🇮🇳🥇1971 के युद्ध का बीज भारत-पाकिस्तान की आजादी के समय ही बो दिया गया था। पूर्वी (बांग्लादेश) और पश्चिमी पाकिस्तान (वर्तमान पाकिस्तान) में राजनैतिक तनाव शुरू से ही था। पश्चिमी पाकिस्तान के राजनेता पूर्वी पाकिस्तान को कोई अहमियत नहीं देते थे। उन्होंने सरकारी कामकाज की भाषा बांग्ला से हटाकर ऊर्दू करने का भी हुक्म जारी किया था। युद्ध की शुरुआत तब हुई, जब 1970 के आम चुनावों में पूर्वी पाकिस्तान के अवामी लीग को बहुमत मिला, लेकिन जुल्फिकार अली भुट्टो और याह्या खान ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाने से इनकार कर दिया। इसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और पाकिस्तानियों का बहिष्कार किया जाने लगा। इससे पूर्वी पाकिस्तान में हिंसा बढ़ गई और पाकिस्तान ने मार्शल लॉ लगाते हुए आपरेशन सर्चलाइट को शुरू कर दिया। इस दौरान व्यापक पैमाने पर बांग्लादेशियों का नरसंहार किया गया।

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