पार्किंसन बीमारी को कतई हल्के में न लें.. वैद्य कौशल

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चंडीगढ़ 17 जून आरके विक्रमा शर्मा अनिल शारदा प्रस्तुति–*पार्किंसन बीमारी को कतई हल्के में न लें..!**अगर हाथ-पैर कंपकंपाते हैं तो आपको पार्किंसन रोग हो गया है।*पार्किंसन रोग में शरीर में कंपन होता है, हाथ-पैर कंपकंपाने लगते हैं।*पूरे विश्व में पार्किंसन रोगियों की संख्या 60 लाख से ज़्यादा है, अकेले अमेरिका में इस रोग से प्रभावित लोग लगभग दस लाख है।*आमतौर पर यह बीमारी 50 वर्ष की उम्र के बाद होती है।वृद्धावस्था में भी हाथ-पैर हिलने लगते हैं, लेकिन यह पता कर पाना कि यह पार्किंसन है या उम्र का असर, सामान्य व्यक्ति के लिए मुश्किल है।*यदि पार्किंसन है तो…*➡️ शरीर की सक्रियता कम हो जाती हैं,➡️ मस्तिष्क ठीक ढंग से काम नहीं करता है।➡️ यह बीमारी होती इसीलिए है कि मस्तिष्क में बहुत गहरे केंद्रीय भाग में स्थित सेल्स डैमेज हो जाते हैं।➡️ दिमाग़ के ख़ास हिस्से बैसल गैंग्लिया (Basal ganglia disease) में स्ट्रायटोनायग्रल नामक सेल्स होते हैं।➡️ सब्सटेंशिया निग्रा (Substantia nigra) की न्यूरान कोशिकाओं की क्षति होने से उनकी संख्या कम होने लगती है।➡️ आकार छोटा हो जाता है।➡️ स्ट्राएटम तथा सब्सटेंशिया निग्रा नामक हिस्सों में स्थित इन न्यूरान कोशिकाओं द्वारा रिसने वाले रासायनिक पदार्थों (न्यूरोट्रांसमिटर) का आपसी संतुलन बिगड़ जाता है।इस वजह से शरीर का भी संतुलन बिगड़ जाता है।➡️ कुछ शोधों के आधार पर कहा जा सकता है कि यह बीमारी वंशानुगत भी हो सकती है।➡️ इस रोग को ख़त्म करने वाली दवाइयां अभी उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन नेचुरोपैथी से इसकी रोकथाम संभव है। *➡ पार्किंसन रोग के लक्षण :*➡️ पार्किंसन रोग में पूरा शरीर ख़ासतौर से हाथ पैर तेज़ी से कंपकंपाने लगते हैं।➡️ कभी कंपन ख़त्म हो जाता है, लेकिन जब भी रोगी व्यक्ति कुछ लिखने या कोई काम करने बैठेगा तो पुन: हाथ कांपने लगते हैं।➡️ भोजन करने में भी दिक्कत होती है।कभी-कभी रोगी के जबड़े, जीभ व आंखे भी कंपकंपाने लगती हैं।➡️ इसमें शारीरिक संतुलन बिगड़ जाता है।➡️ चलने फिरने में दिक्कत होने लगती है।➡️ रोगी सीधा नहीं खड़ा हो पाता।➡️ कप या गिलास हाथ में पकड़ नहीं पाता।➡️ ठीक से बोल नहीं पाता।➡️ हकलाने लगता है।➡️ चेहरा भाव शून्य हो जाता है।➡️ बैठे हैं तो उठने में दिक्कत होती है।➡️ चलने में बाँहों की गतिशीलता नहीं दिखती, वे स्थिर बनी रहती हैं।➡️ जब यह रोग बढ़ता है तो नींद नहीं आती है, वज़न गिरने लगता है, सांस लेने में तकलीफ़, कब्ज़, रुक-रुक कर पेशाब होना, चक्कर आना, आंखों के आगे अंधेरा छा जाना व सहवास में कमी जैसी कई समस्याएं घेर लेती हैं।➡️ साथ ही मांसपेशियों में तनाव व कड़ापन, हाथ-पैरों में जकड़न होने लगती है, ऐसी अवस्था में किसी योग्य चिकित्सा से परामर्श लेना ज़रूरी होता है।*➡ पार्किंसन रोग के कारण :*अधिक सोचने, नकारात्मक सोच व मानसिक तनाव इसका प्रमुख कारण है।दिमाग़ में चोट, नींद की दवाइयों, नशीली दवाइयों व तनाव कम करने वाली दवाइयों का ज़्यादा प्रयोग, विटामिन-ई की कमी, ज़्यादा धूम्रपान, तंबाकू, शराब व फ़ास्ट फ़ूड का सेवन करने से भी पार्किंसन हो सकता है। प्रदूषण भी इसका एक कारण है।मस्तिष्क तक जाने वाली रक्त वाहिनी नलियों का अवरुद्ध होना व मैंगनीज़ की विषाक्तता भी इसका एक कारण है।*➡ पार्किंसन रोग के घरेलू उपचार :*➡️– 4-5 दिन नियमित पानी में नींबू का रस मिलाकर पियें। नारियल का पानी भी इसमें बहुत लाभकारी है।➡️– नियमित दस दिन तक बिना पका हुआ भोजन करें और फलों तथा सब्ज़ियों का जूस पियें तो कुछ ही दिन में यह बीमारी दूर भाग जाती है।➡️– पार्किंसन रोग में सोयाबीन को दूध में मिलाकर पिया जा सकता है। तिल के साथ दूध व बकरी के दूध के सेवन से इस रोग में काफ़ी आराम मिलता है।➡️– हरी पत्तेदार सब्ज़ियों का सलाद खाएं।➡️– विटामिन ई वाले खाद्य पदार्थों से ज़्यादा सेवन करें।➡️~ सबसे उत्तम और असरदार फ्लैक्ससीड का उपयोग है।*100% शुद्ध एवं प्राकृतिक फ्लैक्ससीड तेल के लिये मुझसे सम्पर्क कर सकते हैं।*➡️– प्रतिदिन कुछ हल्के व्यायाम ज़रूर करें।➡️– विचारों को सकारात्मक रखें और ख़ुश रहें।➡️– धूप का सेवन करें ताकि विटामिन डी मिल सके।*➡ परहेज़ :*पार्किंसन के रोगी को कॉफ़ी, चाय, नशीली चीज़ें, नमक, चीनी, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से परहेज़ करना चाहिए। हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार कॉफ़ी पीने वालों में इस बीमारी के होने की आशंका 14% कम हो जाती है।*पार्किन्सन का उपचार अभी तक एलोपैथी में शत प्रतिशत नहीं है लेकिन ये रोग है खतरनाक।**इस रोग का निवारण पारम्परिक, प्राकृतिक एवं घरेलू चिकित्सा पद्धति से बगैर किसी साइड इफेक्ट्स के सम्भव है।*कभी भी सम्पर्क कर सकते हैंll

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