शिमला 08 जून- प्रणीता शर्मा — हिमाचल के असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर को अप्रैल 2023 में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था सुप्रीम कोर्ट ने – प्रदेश सरकार ने भी अभी तक अधिकारी को निलंबित नहीं किया, शिमला में तैनात है अधिकारी।।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए हिमाचल प्रदेश के असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर निशांत सरीन शिमला में राज्य मुख्यालय में काम कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2023 में सरीन को ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी और चार सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा था, लेकिन सरीन ने ऐसा नहीं किया और अपने पद पर बने रहे।कोर्ट के दस्तावेजों से पता चलता है कि सरीन के खिलाफ 2022 में कई दवा कंपनियों को धोखा देने और उन पर दबाव डालने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी। जनवरी 2023 में उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से जमानत मांगी, लेकिन उनकी याचिका रद कर दी गई। इसके बाद सरीन ने अप्रैल 2023 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां भी उन्हें झटका लगा। उनकी जमानत याचिका खारिज कर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।हैरत की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद, प्रदेश सरकार ने सरीन को न तो निलंबित किया गया और न ही कोई तत्काल कार्रवाई की गई। वर्तमान में भी वह शिमला में स्वास्थ्य विभाग में तैनात हैं। सूत्र बताते हैं कि उन्हें नाहन और बद्दी के औद्योगिक केंद्रों में स्थानांतरित करने का भी प्रयास किया गया था, लेकिन चुनाव आयोग ने स्थानांतरण अनुरोध को मंजूरी नहीं दी।सरीन का नाम ऑफिसर्स ऑफ डाउटफुल इंटीग्रिटी (ओडीआई) की लिस्ट में भी सामने आया है। इस सूची में उन अधिकारियों को शामिल किया जाता है जिनकी इमानदारी पर संदेह होता है। 2019 में सतर्कता अधिकारियों की टीम ने सरीन के सात ठिकानों पर छापेमारी की थी। स्वास्थ्य सचिव ने अभी तक इस मुद्दे पर भी कोई कार्रवाई नहीं की है। वर्तमान में एम सुधा देवी की अनुपस्थिति में सी पालरासु के पास स्वास्थ्य सचिव का अतिरिक्त प्रभार है।पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सरीन के मामले को जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा था। अदालत के दस्तावेजों में कहा गया है, “आरोपी निशांत सरीन ने अग्रिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन सीआरपीसी की धारा 438 के तहत उसकी याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी।” इसके अलावा, अदालत ने आदेश दिया कि पंचकुला सेक्टर-20 के पुलिस स्टेशन में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर की जांच सीबीआई को हस्तांतरित की जाए। सीबीआई के निदेशक को हरियाणा पुलिस के उन अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करने का भी काम सौंपा गया है जिन्होंने गिरफ्तारी से बचने में सरीन की सहायता की। पंचकुला के पुलिस आयुक्त को मामले के सभी रिकॉर्ड तुरंत सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया गया है।